14 फरवरी, 2019 का दिन भारत के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा गया है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए इस आतंकी हमले को 6 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसका दर्द और कसक आज भी लोगों के दिलों में ताजा है।
हमले की कहानी
श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे पर, जहाँ सीआरपीएफ का काफिला जम्मू से श्रीनगर की ओर जा रहा था, अवंतीपोरा के गोरीपोरा में एक खतरनाक हमला हुआ। काफिले में 60 से अधिक वाहन थे, जिनमें 2547 जवान सवार थे। एक विस्फोटकों से भरी कार ने काफिले में शामिल एक बस को टक्कर मारी, जिससे एक विशाल विस्फोट हुआ। इस भयानक धमाके में 40 बहादुर जवान बलिदान हो गए।
हमले की जिम्मेदारी
इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली। यह हमला इतना भयानक था कि इसकी आवाज दूर तक सुनाई दी और पूरे इलाके में धुएं का गुबार फैल गया।
भारत की प्रतिक्रिया
इस आतंकी हमले के महज 12 दिन बाद, 25 फरवरी की रात को भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की। भारतीय वायुसेना ने लगभग 300 आतंकियों को मार गिराया, जिसमें वायुसेना के 12 विमानों ने आतंकी कैंपों पर बमबारी की। इस अभियान को ‘बालाकोट एयर स्ट्राइक’ कहा गया।
इसी कार्रवाई में भारत के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का मिग-21 विमान क्षतिग्रस्त हो गया और वे पाकिस्तानी सीमा में जा गिरे। उन्हें पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया, लेकिन 1 मार्च, 2019 को उन्हें छोड़ दिया गया। अभिनंदन को उनकी वीरता के लिए ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।
पुलवामा हमला न केवल भारत की सुरक्षा के लिए एक दुखद घटना थी, बल्कि यह भारत के संकल्प का भी प्रतीक बन गया जिसने आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारे सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।