गुजरात हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: एचआईवी संक्रमित CRPF महिला कर्मचारी को पदोन्नति नहीं देना भेदभाव

गुजरात हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) द्वारा एक महिला कर्मचारी को एचआईवी-एड्स से संक्रमित होने के कारण पदोन्नति न देने को स्पष्ट रूप से भेदभाव करार दिया है। इस मामले में कोर्ट ने CRPF के विधि अधिकारी को तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई की जिसमें महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि उसे पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है क्योंकि वह एचआईवी-एड्स से पीड़ित है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि हालांकि वह पदोन्नति के लिए सभी पात्रता मानदंड पूरा करती है, फिर भी उसे उच्च पद नहीं दिया जा रहा है।

अदालत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और निर्देश दिया कि इस मामले को भारत के प्रभारी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के संज्ञान में लाया जाए। अदालत ने कहा, “यह मामला CRPF में एचआईवी-एड्स से पीड़ित कर्मियों के साथ भेदभाव का एक स्पष्ट उदाहरण पेश करता है।”

CRPF के वकील ने बचाव में कहा कि पदोन्नति के लिए उम्मीदवार को फिट होना चाहिए, जिस पर अदालत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह नियम एक संक्रामक बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के प्रति भेदभावपूर्ण है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि महिला कर्मचारी को केवल इस आधार पर लगातार पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है कि वह एक संक्रामक बीमारी की शिकार है, जबकि अन्य सभी पहलुओं में वह पदोन्नति के लिए पात्र है।

अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख छह मार्च निर्धारित की है और CRPF के विधि अधिकारी को उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इस मामले में कोर्ट की सख्त टिप्पणी ने CRPF की नीतियों और प्रक्रियाओं की समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया है, विशेषकर जब संक्रामक बीमारियों से पीड़ित कर्मचारियों की बात आती है।

डिस्क्लेमर: इस खबर को ऑनलाइन तथा अन्य न्यूज एजेंसियों से संग्रहित किया गया है।

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