BSF के नौ कैडर अधिकारियों ने छोडी नौकरी लिया VRS ,गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी

सीमा सुरक्षा बल (BSF) के नौ कैडर अधिकारियों ने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया है, जो कि BSF समेत अन्य केंद्रीय बलों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इन अधिकारियों में एक कमांडेंट, दो सैकेंड इन कमांड (टूआईसी), एक डिप्टी कमांडेंट और पांच सहायक कमांडेंट शामिल हैं। इनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले सप्ताह स्वीकार किया है।

अधिकारियों के नाम

  • सहायक कमांडेंट पंकज कुमार राणा
  • सहायक कमांडेंट कमलेश मीणा
  • सहायक कमांडेंट परमा नंद
  • सैकेंड इन कमांड विपिन कुमार
  • डिप्टी कमांडेंट भूपेश जोशी
  • कमांडेंट/सीएमओ डॉ. प्रवीण कुमार झा
  • सहायक कमांडेंट शिव मोहन सिंह
  • सहायक कमांडेंट अजय पाल सिंह
  • सैकेंड इन कमांड अभिमन्यु कुमार सिंह

BSF के पूर्व एडीजी एसके सूद ने कहा कि अधिकारियों के वीआरएस लेने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। मुख्यतः पदोन्नति की धीमी गति, वित्तीय लाभों की कमी और कैरियर के बेहतर विकल्पों की तलाश। उन्होंने बताया कि BSF में, विशेषकर जूनियर स्तर पर, पदोन्नति को लेकर काफी परेशानी है। समय पर पदोन्नति न मिलने से अधिकारी नौकरी छोड़ने के बारे में सोचते हैं। वित्तीय फायदों में पिछड़ना भी एक बड़ी वजह है।

कानूनी लड़ाई और सरकारी नीतियाँ

2019 में, कैडर अधिकारियों ने अपने करियर संबंधी मुद्दों को सुप्रीम कोर्ट में जीता था, लेकिन सर्विस रूलों में कोई बदलाव नहीं आया। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद टालमटोल की नीति अपनाई। कैडर अधिकारी पदोन्नति और वित्तीय फायदों में भेदभाव से परेशान हैं, जिससे उन्हें 15 वर्ष में भी पहली पदोन्नति नहीं मिल पा रही।

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BSF में कई जगहों पर हार्ड पोस्टिंग के कारण, अधिकारियों को बॉर्डर गार्डिंग के अलावा भी कई ड्यूटी निभानी पड़ती हैं, जिससे उनका मूल कार्य प्रभावित होता है। चुनावी ड्यूटी का उदाहरण देते हुए, सूद ने यह भी कहा कि जैसे दूसरी संगठित सेवाओं में समय पर पदोन्नति मिलती है, वैसा नहीं हो पा रहा है।

कैडर अधिकारियों को अपने अधिकारों और लाभों के लिए अदालत का रुख करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से पदोन्नति और वित्तीय लाभों को लेकर गंभीरता की कमी के कारण, कैडर अधिकारी बेहतर विकल्पों की तलाश में BSF को अलविदा कह रहे हैं। इस मामले में कैडर समीक्षा और नियमों में बदलाव की जरूरत है, जिससे अधिकारियों को उनके हक के अनुसार लाभ मिल सकें और बल की कार्यक्षमता बनी रहे।

डिस्क्लेमर: इस खबर को ऑनलाइन तथा अन्य न्यूज एजेंसियों से संग्रहित किया गया है।

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