सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को पैरामिलिटरी फोर्सेज/सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज के जवानों पर लागू करने के दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी है। यह आदेश जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की पीठ ने पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी गई है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पैरामिलिटरी फोर्सेज के जवान सशस्त्र बलों के जवानों के समान हैं और उन्हें भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। हाई कोर्ट ने यह आदेश पवन कुमार और अन्य बनाम केंद्र सरकार और अन्य मामले में दिया था, जिसमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ और आईटीबीपी के जवानों ने पुरानी पेंशन योजना के लाभ को खारिज करने वाले आदेशों को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि जवान सशस्त्र बलों के जवानों के साथ समानता चाहते हैं और हाई कोर्ट ने कहा था कि पुरानी पेंशन योजना का लाभ सभी पैरामिलिटरी फोर्सेज के जवानों को मिलना चाहिए। जवानों की ओर से अधिवक्ता अंकुर छिब्बर ने अनुरोध किया कि मामले में एक तय तारीख दी जाए, लेकिन यह अनुरोध खारिज कर दिया गया और कहा गया कि मामला इतना तात्कालिक नहीं है और इसकी सुनवाई में समय लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए 15 सितंबर 2023 को लगाई गई अंतरिम रोक की पुष्टि की। हालांकि, पार्टियों को जल्दी सुनवाई के लिए आवेदन दायर करने की छूट दी गई है। ( LIVE LAW – https://www.livelaw.in/top-stories/supreme-court-stays-delhi-hc-direction-that-old-pension-scheme-is-applicable-to-paramilitary-forces-266490?infinitescroll=1 )
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जो भी बल सदस्य बीजेपी को वोट दे रहा है शायद उसको तो बहुत अच्छा लगा होगा मगर भविष्य में जब बूढ़े होंगे ना तब आपको याद आएगा तब पता चलेगा राष्ट्रीय पेंशन योजना क्यों जरूरी था