OPS पर सवाल: सरकार ‘पुरानी पेंशन’ बहाली के पक्ष में नहीं है तो इसका कारण क्या? वित्त राज्यमंत्री का यह जवाब

संसद में दीपेंद्र हुड्डा, धर्मेंद्र यादव और संजय सिंह ने सरकारी कर्मियों के साथ ही केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठाई। इसी सप्ताह ए. राजा, सु. वेंकटेशन और आनंद भदौरिया ने लोकसभा में पुरानी पेंशन को लेकर वित्त मंत्री से सवाल पूछा।

सरकारी कर्मियों के लिए ‘पुरानी पेंशन’ बहाली का मुद्दा, अब संसद सत्र में भी गूंजने लगा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने ओपीएस को लेकर सवाल पूछे हैं। दीपेंद्र हुड्डा, धर्मेंद्र यादव और संजय सिंह ने सरकारी कर्मियों के साथ ही केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठाई। इसी सप्ताह ए. राजा, सु. वेंकटेशन और आनंद भदौरिया ने लोकसभा में पुरानी पेंशन को लेकर वित्त मंत्री से सवाल पूछा। इन सांसदों ने पूछा, क्या सरकार पुरानी पेंशन योजना को अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए बहाल करने के पक्ष में नहीं है और यदि हां, तो इसके क्या कारण हैं। वित्त राज्य मंत्री ने सभी सवालों का जवाब दिया, मगर ओपीएस लागू न करने का क्या कारण है, यह जवाब नहीं दिया। 

ए. राजा, सु. वेंकटेशन और आनंद भदौरिया ने पांच अगस्त को लोकसभा में पूछा था, क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे, क्या राष्ट्रीय पेंशन योजना से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने और इस सम्बन्ध में सुधारों का सुझाव देने के लिए वित्त सचिव सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो विलम्ब के क्या कारण हैं। उक्त समिति की वर्तमान स्थिति क्या है। क्या इस सम्बन्ध में समिति द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। क्या सरकारी कर्मचारी संघ, ‘अंशदायी पेंशन योजना’ के स्थान पर ‘पुरानी पेंशन योजना’ को बहाल करने की मांग और संघर्ष भी कर रहे हैं। यदि हां, तो इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है। क्या कुछ राज्य सरकारों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है। यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है। तीनों सांसदों ने अपने सवाल के आखिर में पूछा कि क्या सरकार पुरानी पेंशन योजना को अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए बहाल करने के पक्ष में नहीं है। यदि हां, तो इसके क्या कारण हैं। 

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने उक्त सवालों का जवाब देते हुए बताया, वित्त मंत्री द्वारा 24 मार्च 2023 को लोकसभा में की गई घोषणा के अनुसरण में, केंद्र सरकार ने वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। वित्त सचिव एवं सचिव (व्यय) इस कमेटी के अध्यक्ष हैं। सचिव, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय और अपर सचिव (कार्मिक), व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय को कमेटी का सदस्य बनाया गया था। इनके अलावा अध्यक्ष, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को भी बतौर सदस्य, कमेटी में शामिल किया गया था। 

कमेटी के समक्ष विचारार्थ विषयों में, क्या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली, जैसी कि सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है, के वर्तमान ढांचे तथा संरचना के आलोक में किसी परिवर्तन का औचित्य बनता है। यदि हां, तो ऐसे उपायों का सुझाव देना जो राजकोषीय निहितार्थ और समग्र बजटीय गुंजाइश पर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों के पेंशनरी लाभों में सुधार लाने की दृष्टि से उसे संशोधित करने के लिए उचित हों, ताकि आम नागरिकों के बचाव हेतु राजकोषीय विवेक बनाए रखा जा सके। 

वित्त राज्य मंत्री ने बताया, इस समिति ने अपने काम में काफी प्रगति की है, किंतु अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। 

पुरानी पेंशन प्रणाली को बहाल करने के लिए समय समय पर कर्मचारी संगठनों के अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं। उन्हें पेंशन प्रणाली की समीक्षा करने के लिए गठित समिति के समक्ष रखा गया है। किन राज्य सरकारों ने ओपीएस लागू की है, इस सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने कहा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने अपने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली (ओपीएस) पुन: शुरू करने के अपने निर्णय के संबंध में केंद्र सरकार ‘पीएफआरडीए’ को सूचित किया है। हालांकि, पंजाब सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में अपना अंशदान जारी रखा है। राज्य मंत्री की तरफ से, ओपीएस लागू न करने का क्या कारण है, इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया। (AMAR UJALA)

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