गंगथ (कांगड़ा)। भलेटा में सीआरपीएफ ने शनिवार को 86वां स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान बलिदानियों की शहादत को सलाम करते हुए उनके परिजनों को सम्मानित किया गया। समारोह में एक्स पैरामिलिट्री कल्याण संगठन हिमाचल प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता मनवीर चंद कटोच ने कहा कि 27 जुलाई 1939 में मूल रूप से क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के नाम से स्थापित, यह सबसे पुराना केंद्रीय बलों में से एक है।
आज के एकीकृत भारत को आकार देने में इस बल की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। आजादी के बाद 28 दिसंबर 1949 को संसद के एक अधिनियम की ओर से इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ( सीआरपीएफ) दिया गया। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की जरूरतों को देखते हुए इस बल को बनाने में खास भूमिका थी। 21 अक्तूबर 1959 सीआरपीएफ के जांबाजों ने चीनी हमले को नाकाम किया था, उस समय बल के 10 जवानों ने दुश्मन से बहादुरी से मुकाबला करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था। उन जांबाजों की शहादत की याद में श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर आयोजक कमेटी सदस्य सहायक कमांडेंट हरनाम सिंह, बिशन दास, सूबेदार हीरा सिंह, राम लाल, सहायक उपनिरीक्षक राजिंदर सिंह, रणजीत सिंह, राय सिंह, प्रेम सिंह, करनैल सिंह और तरसेम सिंह सहित बीएसएफ, आईटीबीपी और अन्य पैरामिलिट्री फोर्स के कई पूर्व कर्मचारियों और उच्चाधिकारियों, जसूर में कार्यरत 14 एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट अनिल तलकोत्रा, इंस्पेक्टर आनंद कुमार, बीएसएफ के पूर्व आईजी रमेश सिंह भडवाल, हिमवीर जागृति मंच के वरिष्ठ सचिव पूर्व कप्तान जरनैल सिंह डडवाल मौजूद रहे।
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