बांग्लादेश में फंसे मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए मसीहा बनी BSF, अबतक 1 हजार भारतीय छात्र वापस लौटे

IG बीएसएफ ने कॉमिला में बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) के क्षेत्र कमांडर से कॉन्टेक्ट किया और दोनों सीमा सुरक्षाबलों के बीच चैनल एक्टिव किए गए. इसके बाद एक सुनियोजित ऑपरेशन में BSF और BGB ने मिलकर काम किया. BGB ने BOP अखुरा के पास बॉर्डर तक स्टूडेंट्स के सुरक्षित मार्ग का ध्यान रखा और उसके बाद BSF ने इन छात्रों की देखभाल की. बॉर्डर पर इन छात्रों को खाना उपलब्ध कराया गया. इसके बाद BSF की गाड़ियों से उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया.

बांग्लादेश में इन दिनों हालात सामान्य नहीं हैं. सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम खत्म करने की मांग को लेकर छात्र हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हालात को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लागू किया गया है. इसके बाद करीब 1,000 भारतीय छात्र बांग्लादेश से वापस लौटे हैं. बता दें कि हिंसक झड़पों में अभी तक 115 से अधिक लोग मारे गए हैं. 

त्रिपुरा से सटे बांग्लादेश के सीमावर्ती जिले ब्राह्मणबारिया मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले 36 छात्रों के लिए BSF मसीहा बन गई है. दरअसल, 20 जुलाई की सुबह त्रिपुरा फ्रंटियर के महानिरीक्षक पीयूष पुरुषोत्तम पटेल के पास बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले एक छात्र के पैरेंट्स का फोन आया. उन्हें वहां फंसे भारतीय छात्रों की दुर्दशा के बारे में बताया गया. साथ ही कहा कि इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण छात्रों की कुशलक्षेम पता करना मुश्किल हो रहा है. 

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IG बीएसएफ ने कॉमिला में बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) के क्षेत्र कमांडर से कॉन्टेक्ट किया और दोनों सीमा सुरक्षाबलों के बीच चैनल एक्टिव किए गए. इसके बाद एक सुनियोजित ऑपरेशन में BSF और BGB ने मिलकर काम किया. BGB ने BOP अखुरा के पास बॉर्डर तक स्टूडेंट्स के सुरक्षित मार्ग का ध्यान रखा और उसके बाद BSF ने इन छात्रों की देखभाल की. बॉर्डर पर इन छात्रों को खाना उपलब्ध कराया गया. इसके बाद BSF की गाड़ियों से उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया. 

भारत ने इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों को बांग्लादेश का आंतरिक मामला बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि पड़ोसी देश में रह रहे 15000 भारतीय सुरक्षित हैं, जिनमें 8500 के करीब छात्र हैं. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है. ढाका में भारतीय उच्चायोग देश लौटने के इच्छुक भारतीय छात्रों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहा है. शनिवार तक 978 छात्रों सहित 1000 से अधिक भारतीय एयर रूट और लैंड बॉर्डर के जरिए बांग्लादेश से लौट आए हैं.

भारतीय उच्चायोग ने 13 नेपाली छात्रों की वापसी में भी मदद की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. हम इसे देश का आंतरिक मामला मानते हैं. भारतीयों की सुरक्षा के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर खुद इस मामले पर करीब से नजर रख रहे हैं.’ पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित बेनापोल-पेट्रापोल; गेडे-दर्शाना और त्रिपुरा में अखौरा-अगरतला क्रॉसिंग छात्रों और भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए खुले रहेंगे. भारतीय उच्चायोग बीएसएफ और इमिग्रेशन ब्यूरो के समन्वय से बांग्लादेश से भारतीय छात्रों की वापसी की सुविधा प्रदान कर रहा है.

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बांग्लादेश में क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन? 

बांग्लादेश में स्टूडेंट्स नौकरी में रिजर्वेशन खत्म करने की मांग कर रहे हैं. दरअसल, बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं. इनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, पांच प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं. आंदोलन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ चलाया जा रहा है. बांग्लादेश में हर साल करीब 3 हजार सरकारी नौकरियां ही निकलती हैं, जिनके लिए करीब 4 लाख कैंडिडेट अप्लाई करते हैं.

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