पाकिस्तान से जुड़े जम्मू बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ ही सेना तैनात कर दी गई है। 2020 में चीन के साथ टकराव के बाद जवानों को जम्मू रीजन से हटाकर लद्दाख में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) भेज दिया गया था। हालांकि, अभी LoC से यहां जवान नहीं लाए जाएंगे, बल्कि जम्मू में दो-तीन दिन में अतिरिक्त तैनाती होगी।
जो जवान पहले से जम्मू में हैं, उन्हें बॉर्डर भेज दिया है। सैन्य सूत्रों के मुताबिक कठुआ के पहाड़ी इलाकों के 80 किमी दायरे में जवान तैनात हो चुके हैं। इन्होंने नदियों, बरसाती नालों, घुसपैठ के पुराने मार्गों को पूरी तरह नियंत्रण में ले लिया है।
यह जानकारी शनिवार (20 जुलाई) को जम्मू पुलिस मुख्यालय में सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी की मौजूदगी में हुई बैठक में दी गई। इसमें बताया गया कि जम्मू रीजन में जवान बढ़ाने और खुफिया सूचनाओं को तुरंत साझा करने के लिए मल्टी एजेंसी सेंटर को उन्नत कर रहे हैं।
आतंकियों के सफाए के लिए इंटर कमांड बदलाव करते हुए कमांडो भी तैनात किए जा रहे हैं। वेस्टर्न कमांड से भी फौज भेजी गई है।
19 सिग्नल इंटरसेप्ट…इसके बाद जवान बढ़ाए
रक्षा सूत्रों ने भास्कर को बताया कि जम्मू क्षेत्र की पीर पंजाल और चिनाब घाटी में 12 से अधिक आतंकी समूह सक्रिय हैं। 9 जुलाई को रियासी हमले के बाद सुरक्षा तंत्र ने 19 सिग्नल इंटरसेप्ट किए हैं। इसमें सांबा और हीरानगर में भारत-पाक सीमा पर अगले कुछ दिनों बड़ी घुसपैठ के संकेत मिलने के बाद सैन्य तैनाती बढ़ाई गई।
दो दिन पहले 17 जुलाई को कश्मीर में कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में मारे गए दो विदेशी आतंकियों से ऑस्ट्रिया में बनी बुलपप असॉल्ट राइफल स्टेयर एयूजी और पाकिस्तानी पहचान पत्र भी मिला है।स्टेयर AUG असॉल्ट राइफल के चैंबर में 5.56×45 मिमी का कारतूस इस्तेमाल किया जाता है।
इस राइफल को 1960 के दशक में स्टेयर-डेमलर-पुच द्वारा डिजाइन किया गया था। अब इसे स्टेयर आर्म्स जीएमबीएच एंड कंपनी केजी द्वारा बनाया जा रहा है। इस राइफल को दुनिया के चुनिंदा खतरनाक राइफलों में शुमार किया जाता है। इसे दुनिया के काफी देशों में सेना और पुलिस इस्तेमाल कर रहे हैं।

आतंकी चारों तरफ से घिरे…बचना मुश्किल
सैन्य कमांडरों ने सेना प्रमुख को यह भी बताया कि धीरे-धीरे जवान उन जगहों को नियंत्रण में ले रहे हैं, जहां पहले आतंकी छिपते थे। डोडा की पहाड़ियों पर ऑपरेशन लगातार जारी है। पुंछ के सुरनकोट और मेंढर में भी घेराबंदी कर ली गई है। शींदरा टॉप, सनेई टॉप, डन्ना शाह सतार और बच्चेयां वाली के जंगलों में एसओजी, सीआरपीएफ और पैरा कमांडो कॉम्बिंग कर रहे हैं।
इस बार हालात गंभीर, तत्काल कार्रवाई जरूरी
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य ने भास्कर को बताया कि 2005 के पहले जम्मू संभाग के पहाड़ी जिलों में आतंकवाद का जितना विस्तार था, इस बार हालात उससे ज्यादा गंभीर हैं। अगर तत्काल गंभीर कार्रवाई नहीं की गई तो हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं।
हालांकि, सेना की तैनाती बहुत तेजी से बढ़ा दी गई है और नई योजना के साथ सेना मैदान में है। जल्द ही नतीजा आ जाएगा। हम उन्हें नेस्तनाबूद कर देंगे।
सेना ने 500 पैरा स्पेशल फोर्स कमांडो को भी तैनात किया
जम्मू में बढ़ते आतंकी हमलों के बीच भारतीय सेना ने लगभग 500 पैरा स्पेशल फोर्स कमांडो को भी तैनात किया है। रक्षा सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI को शुक्रवार (19 जुलाई) को बताया कि जम्मू रीजन में पाकिस्तान के 50-55 आतंकियों के छिपे होने की आशंका है। ये भारत में फिर से टेरर नेटवर्क एक्टिव करने के लिए घुसे हैं।
सेना को इससे जुड़े इंटेलिजेंस इनपुट मिले हैं, जिसके बाद उन्होंने मोर्चा संभाल लिया है। इंटेलिजेंस एजेंसियां भी आतंकियों का समर्थन करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, जम्मू में घुसपैठ कर रहे आतंकी हाई लेवल ट्रेनिंग लेकर आए हैं। उनके पास आधुनिक हथियार और उपकरण हैं। सेना इन आतंकियों की तलाश और उन्हें खत्म करने की रणनीति पर काम कर रही है।
आतंकियों से मुकाबला करने के लिए सेना पहले ही 3500 से 4000 सैनिकों की अपनी ब्रिगेड उतार चुकी है। इसके अलावा जम्मू में सेना के पास पहले से ही एक काउंटर-टेररिस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जिसमें रोमियो और डेल्टा फोर्सेज के साथ-साथ राष्ट्रीय राइफल्स की दो फोर्सेज शामिल हैं।
जम्मू में जैश और लश्कर का 20 साल पुराना नेटवर्क एक्टिव
जम्मू रीजन में सेना ने 20 साल पहले पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जिस लोकल नेटवर्क को सख्ती से निष्क्रिय कर दिया था, वो पूरी ताकत से फिर एक्टिव हो गया है। पहले ये लोग आतंकियों का सामान ढोने का काम करते थे, अब उन्हें गांवों में ही हथियार, गोला बारूद और खाना-पीना दे रहे हैं।
बीते दिनों जिन 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था, उन्होंने पूछताछ में इसके सुराग दिए हैं। यह नेटवर्क जम्मू के 10 में से नौ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन में जम चुका है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया था। उसने दो साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया।