सरकार ने बचाए थे 34000 करोड़ रुपये, चुप रहे कर्मी, अब 18 माह के DA का एरियर भी नहीं, क्या होगा मांगों का?

सरकार ने ‘पुरानी पेंशन’ बहाली का मुद्दा, लंबे समय से लटका रखा है। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव के अनुसार, 19 जुलाई को सरकारी कर्मचारी, लंच समय के दौरान अपने कार्यस्थल पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस बाबत कैबिनेट सचिव को अवगत करा दिया गया है। मांग पत्र और विरोध प्रदर्शन की जानकारी, वित्त मंत्रालय के सचिव को भी दी गई है। 

केंद्र सरकार ने कोरोनाकाल में 18 माह का डीए रोका था। उस वक्त कर्मचारियों ने कोई आवाज नहीं उठाई। आपदा में सरकार का साथ दिया था। उसके बाद जब अर्थव्यवस्था पटरी पर आई तो सरकार, कर्मियों को उनके 18 माह के ‘डीए’ का एरियर देने से मुकर गई। अप्रैल, 2024 में जीएसटी कलेक्शन ने 2 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया था। अप्रैल 2023 में भी जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन हुआ था। अक्तूबर 2023, जनवरी 2024 और मार्च 2024 में भी जीएसटी कलेक्शन 1.7 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया था।

कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव का कहना है कि 19 जुलाई को सरकारी कर्मचारी, अपनी लंबित मांगों को लेकर लंच समय में विरोध प्रदर्शन करेंगे। पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन और केंद्र सरकार में खाली पड़े 10-12 लाख पदों को भरना, कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स ने ऐसी ही सात मांगें, सरकार के समक्ष रखी हैं। 

एसबी यादव के मुताबिक, कोरोनाकाल में कर्मियों ने सरकार का भरपूर साथ दिया था। चूंकि देश एक आपदा से जूझ रहा था, इसलिए कर्मचारी चुप रहे। सरकार ने अर्थव्यवस्था की गति ठीक नहीं होने का हवाला देकर कर्मियों का डीए रोक लिया था। डीए का भुगतान रोक कर सरकार ने 34,402.32 करोड़ रुपये बचा लिए थे। उसके बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर आ गई। सरकार ने दुनिया में यह डंका बजाया कि देश की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली है। जीएसटी कलेक्शन में साल-दर-साल 11 फीसदी की वृद्धि हो रही है। ऐसे में जब सरकार से 18 माह के डीए का एरियर देने का आग्रह किया गया, तो सरकार ने मना कर दिया। 18 माह के ‘डीए’ का एरियर, कर्मियों का हक है।

सरकार से कहा गया था कि वह इस एरियर को एकमुश्त राशि के तौर पर नहीं देना चाहती तो उसे तीन किस्तों में दे। सरकार, इस पर भी राजी नहीं हुई। केंद्र सरकार में 10 से 12 लाख पद खाली पड़े हैं। जैसे जैसे सरकारी विभागों का कामकाज बढ़ रहा है, तो मौजूदा कर्मचारी भी काम के अतिरिक्त बोझ के नीचे आ रहे हैं

सरकार ने ‘पुरानी पेंशन’ बहाली का मुद्दा, लंबे समय से लटका रखा है। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव के अनुसार, 19 जुलाई को सरकारी कर्मचारी, लंच समय के दौरान अपने कार्यस्थल पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस बाबत कैबिनेट सचिव को अवगत करा दिया गया है। मांग पत्र और विरोध प्रदर्शन की जानकारी, वित्त मंत्रालय के सचिव को भी दी गई है। 

कन्फेडरेशन की प्रमुख मागों में ‘आठवें वेतन आयोग का गठन’ और ‘एनपीएस’ की समाप्ति व ‘पुरानी पेंशन बहाली’, शामिल है। कर्मचारियों को केवल ‘गारंटीकृत पुरानी पेंशन’ ही चाहिए। उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। अन्य मांगों में रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन की अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष किया जाए। अनुकंपा नियुक्ति पर लगी पांच फीसदी की सीमा को खत्म किया जाए। इसके चलते उन कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति मिल सकेगी, जो अपनी जॉब के दौरान मारे गए हैं। सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को बिना किसी देरी के भरा जाए। आउटसोर्स व अनुबंध आधारित नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए। सर्विस एसोसिएशन/फेडरेशन पर रूल 15 1(सी) को लागू करने पर रोक लगे।

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