शौर्य चक्र विजेताओं को उनके मूल राज्य की सरकारों से एक तय सम्मान राशि प्रदान की जाती है। यह सम्मान राशि, सभी प्रदेशों में एक जैसी नहीं है। जैसे हरियाणा में शौर्य पदक के लिए हरियाणा 31 लाख रुपये मिलते हैं, तो वहीं पंजाब में यह राशि लगभग 40 लाख रुपये है। पश्चिम बंगाल में लगभग 13 लाख रुपये मिलते हैं।
देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ में शौर्य चक्र विजेताओं को राज्यों से मिलने वाली सम्मान राशि के लिए भटकना पड़ रहा है। इस बल के दो अधिकारी, जिनमें एक डिप्टी कमांडेंट और दूसरा सहायक कमांडेंट है, इन्हें शौर्य चक्र की तय सम्मान राशि नहीं मिल सकी है। हरियाणा के सहायक कमांडेंट जिले सिंह, जिसने पाकिस्तान के आतंकी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद के बड़े आतंकी हमले में अपने 12 साथियों की रक्षा की थी। तीन खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया था। हरियाणा सरकार ने उन्हें 31 लाख रुपये की सम्मान राशि नहीं दी, केवल सात लाख रुपये दे दिए। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के डिप्टी कमांडेंट दिलीप मलिक, जिन्होंने अपनी टीम के साथ अतुल्य बहादुरी का परिचय देते हुए चार नक्सलियों को मार गिराया था, उन्हें अभी तक सम्मान राशि का एक भी पैसा नहीं मिला है। वे भी पश्चिम बंगाल सरकार के चक्कर काट रहे हैं।
सीआरपीएफ कमांडरों को राशि देने में आनाकानी
शौर्य चक्र विजेताओं को उनके मूल राज्य की सरकारों से एक तय सम्मान राशि प्रदान की जाती है। यह सम्मान राशि, सभी प्रदेशों में एक जैसी नहीं है। जैसे हरियाणा में शौर्य पदक के लिए हरियाणा 31 लाख रुपये मिलते हैं, तो वहीं पंजाब में यह राशि लगभग 40 लाख रुपये है। पश्चिम बंगाल में लगभग 13 लाख रुपये मिलते हैं। महाराष्ट्र में भी 15 से 20 लाख रुपये दिए जाते हैं। बिहार में यह राशि दस लाख रुपये के आसपास रहती है। दिल्ली में यह सम्मान राशि 50 लाख रुपये के नीचे रहती है। मध्यप्रदेश में शौर्य चक्र विजेता को 50 लाख रुपये मिलते हैं। इस राशि में समय-समय पर बदलाव होता रहता है। खास बात ये है कि अगर सेना के किसी जवान या अधिकारी को शौर्य चक्र मिलता है, तो यह राशि तुरंत प्रदान कर दी जाती है। यही चक्र जब केंद्रीय अर्धसैनिक बल के वीरों को दिया जाता है, तो सम्मान राशि देने में आनाकानी होती है।
पत्राचार हुआ है मगर कोई फायदा नहीं
सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट दिलीप मलिक, पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के गांव जगन्नाथपुर के रहने वाले हैं। मौजूदा समय में वे सीआरपीएफ के पश्चिम बंगाल सेक्टर में तैनात हैं। उन्हें नक्सल क्षेत्र में बहादुरी के लिए 2019 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा शौर्य च्रक प्रदान किया गया था। 22 मार्च 2023 को सीआरपीएफ के पश्चिम बंगाल सेक्टर के आईजी कार्यालय की तरफ से एडीशनल चीफ सेक्रेटरी को पत्र भेजा गया था। उसमें लिखा था कि मलिक की यह उपलब्धि न केवल सीआरपीएफ, बल्कि पश्चिम बंगाल के लिए गौरव का विषय है। रक्षा मंत्रालय की पॉलिसी के मुताबिक, वीरता के लिए पदक विजेताओं को प्रत्येक राज्य सरकार की तरफ से सम्मान स्वरूप राशि दी जाती है। इस संबंध में सभी औपचारिकताएं पूरी की गई हैं, इसलिए डिप्टी कमांडेंट को शौर्य चक्र की एवज में मिलने वाली तय सम्मान राशि प्रदान की जाए। जुलाई 2023 में पश्चिम बंगाल सरकार के गृह विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी की तरफ से जवाब आता है कि इस मामले में कार्यवाही जारी है।
नक्सलियों की मूवमेंट को ट्रैप किया
25 जुलाई 2019 को दिलीप मलिक को सूचना मिली थी कि बिहार के नक्सल प्रभावित गया जिले के चक्रबंदा इलाके में टॉप नक्सलियों का मूवमेंट है। इसके लिए एक विशेष ऑपरेशन शुरू किया गया। लगभग 72 घंटे तक ऑपरेशन जारी रहा, लेकिन नक्सलियों की मूवमेंट नहीं दिखी। दो दिन बाद सूचना मिली कि टॉप नक्सली लीडर वहां आ रहे हैं। एक दिवस के सिलसिले में माओवादी एकत्रित हुए हैं। केंद्रीय बलों से पहले लोकल पुलिस ने वहां पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन बीच में झड़प हो गई और नक्सली भाग निकले। इसके बाद दोबारा से ऑपरेशन लांच किया गया। तब मलिक बाहर से निर्देश दे रहे थे। कई टीमों ने सर्च किया, मगर नक्सली नहीं मिले। एक बार फिर सूचना आई कि नक्सलियों की मूवमेंट हो रही है। मलिक अपनी छोटी सी टीम के साथ जंगल की तरफ रवाना हुए। लोकल पुलिस से तालमेल किया। पुलिस से कहा कि वे सरकारी गाड़ी में नहीं जाएंगे। कोई सिविल गाड़ी मुहैया करा दो। रात को डेढ़ बजे 22 किलोमीटर का सफर तय कर वे मौके पर पहुंचे। उस वक्त भारी बरसात हो रही थी।
अंधेरे और बरसात में चार नक्सली मारे गए थे
पहाड़ पर तमाम मुश्किलों के बावजूद वे आगे बढ़े। जब वे 13 नंबर प्वाइंट पर पहुंचे तो वहां नेट नहीं था। 14 नंबर पहाड़ पर मोबाइल टावर था। वहां पर टूआईसी से बातचीत की गई। आगे बढ़े तो आईईडी ब्लास्ट हो गया। नक्सलियों को सुरक्षा बलों की मौजूदगी का अहसास हो चुका था। नक्सली टॉप पर घात लगाए बैठे थे। वहां से बम बरसाए गए। मलिक ने अपनी टीम का हौसला बढ़ाया। चंद जवानों के साथ वे आगे बढ़ते चले गए। जमकर फायरिंग हुई। क्रॉस फायर में चार नक्सली मारे गए। बरसात में वे रातभर पहाड़ी पर ही रहे। सर्च में चार आईईडी व हथियार बरामद हुए। पश्चिम बंगाल के होम सेक्रेटरी के स्टाफ अफसर से मुलाकात कर आग्रह किया गया कि सम्मान राशि जारी की जाए। चीफ सेक्रेट्री से यहां भी गुहार लगाई गई। कई दूसरे अफसरों के समक्ष मामला उठाया गया। अब गत वर्ष से ही मामला ठंडा पड़ा है।
24 लाख रुपये की राशि पर कैंची चला दी गई
सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जिले सिंह, हरियाणा के गुरुग्राम जिले से हैं। सरकार की तरफ से उन्हें सम्मान राशि के तौर पर 31 लाख रुपये दिए जाने थे। हरियाणा सरकार ने मात्र सात लाख रुपये देकर मामला रफा-दफा करने का प्रयास किया। यानी 24 लाख रुपये की राशि पर कैंची चला दी गई। तीन साल से सहायक कमांडेंट अपनी बकाया राशि के लिए हरियाणा सरकार के चक्कर काट रहा है, लेकिन कहीं भी उसकी सुनवाई नहीं हो रही। अब इस मामले को मुख्यमंत्री नायब सैनी के समक्ष रखने की बात कही जा रही है। बतौर जिले सिंह, हरियाणा सरकार के ज्ञापन संख्या 20/28/85-4डी, 28-05-2014 के तहत शौर्य चक्र विजेता को 31 लाख रुपये, एकमुश्त देने का प्रावधान है।
शौर्य चक्र विजेता को यह सब भी मिलता है
कृषि योग्य भूमि, प्लाट/फ्लैट इत्यादि देने का भी नियम है। इसके अतिरिक्त किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग/सरकारी भवन (स्कूल/अस्पताल) पर शौर्य चक्र विजेता का नाम अंकित कराने का भी प्रावधान है। बतौर जिले सिंह, मुझे केवल सात लाख रुपये दिए गए हैं, जबकि निर्धारित राशि 31 लाख रुपये है। 2020 में इस बाबत हरियाणा के मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर तय नियमानुसार, सम्मान राशि देने का अनुरोध किया गया था। अभी तक सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार का सकारात्मक विचार नहीं किया गया है। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस विषय को लेकर 23 अगस्त 2023 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखा था। उसके बाद भी सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई। सीआरपीएफ की तरफ से भी इस संबंध में हरियाणा सरकार के साथ पत्राचार किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
मगर हरियाणा सरकार मानने को तैयार नहीं
पिछले साल हरियाणा सरकार की तरफ से कहा गया था कि इस मामले में दूसरे प्रदेशों से यह जानकारी ले रहे हैं कि उनके यहां शौर्य चक्र विजेता को कितनी राशि मिलती है। उसके बाद ही दोबारा से इस केस की फाइल पर विचार किया जाएगा। आसपास के राज्यों में मिलने वाली राशि सार्वजनिक पटल पर आ चुकी है, मगर हरियाणा सरकार मानने को तैयार नहीं है। सितंबर 2022 में इस मामले को लेकर मुख्य सचिव, सैनिक/अर्धसैनिक कल्याण विभाग, हरियाणा सरकार के साथ पत्राचार हुआ था। वहां से जानकारी मिली कि यह मामला मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया है। दूसरे राज्यों में शौर्य चक्र विजेता को क्या कुछ मिलता है, वह जानकारी एकत्रित की जा रही है। हरियाणा सरकार इस केस को लेकर गंभीर है। अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा लिए जाने की बात कही गई।भाजपा के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने भी यह भरोसा दिया था कि जिले सिंह को उनका पूरा हक मिलेगा।
36 घंटे चले ऑपरेशन में जैश के तीन आतंकी मारे थे
2017 में अपनी टीम के साथ लेथपोरा के सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों को मार गिराया था। दहशतगर्दों का खात्मा और अपने 12 साथियों की रक्षा करने के लिए उन्हें ‘शौर्य’ चक्र प्रदान किया गया था। सहायक कमांडेंट जिले सिंह ने दक्षिण कश्मीर रेंज में बतौर क्यूएटी ऑप्स कमांडर, पांच साल तक ड्यूटी की है। दो बार उनका कार्यकाल बढ़ाया गया। उन्होंने आतंकियों का खात्मा करने वाले कई बड़े अभियानों में हिस्सा लिया है। 2017 में सीआरपीएफ के लेथपोरा कैंप पर जब आतंकियों ने हमला किया, तो जिले सिंह और उनकी टीम ने बहादुरी से उनका मुकाबला किया। वहां पर सीआरपीएफ के दर्जनभर जवान, आतंकियों के निशाने पर थे। लगभग 36 घंटे तक चले ऑपरेशन में जैश के तीन आतंकी मारे गए। इस ऑपरेशन में जिले सिंह की टीम के एक सदस्य सहित पांच जवानों ने शहादत दी थी।
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