OPS: पुरानी पेंशन के मुद्दे पर रक्षा कर्मचारी संगठन ने वित्त मंत्रालय और जेसीएम की बैठक का किया बहिष्कार

एआईडीईएफ ने प्रारंभ से ही एनपीएस को खारिज किया है। यह संगठन, एनपीएस को खत्म करने और सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 (अब 2021) के तहत पेंशन की बहाली के लिए स्वतंत्र रूप से और जेएफआरओपीएस के फोरम के माध्यम से लगातार संघर्ष कर रहा है।

पुरानी पेंशन को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। सोमवार को दोपहर तीन बजे नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी ने पुरानी पेंशन पर बातचीत करने के लिए स्टाफ साइड (नेशनल काउंसिल, जेसीएम) के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया है। एआईडीईएफ के अध्यक्ष एसएन पाठक और महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, कर्मियों को केवल ‘गारंटीकृत पुरानी पेंशन’ ही चाहिए। उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। केंद्र एवं और राज्य सरकारों के 6 करोड़ से अधिक कर्मचारी, एनपीएस को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोदी 2.0 सरकार ने एनपीएस में सुधार की सिफारिश के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। एआईडीईएफ के कर्मचारी पक्ष ने राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ और वित्त मंत्रालय की समिति को ज्ञापन सौंपकर एनपीएस में किसी भी तरह के सुधार की बात को खारिज कर दिया है। कर्मचारी संगठन के नेताओं का कहना है कि उनकी मांग, केवल पुरानी पेंशन बहाली है। 

ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के वरिष्ठ पदाधिकारी, स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, 15 जुलाई को एनपीएस समिति ने जेसीएम सदस्यों को बैठक के लिए आमंत्रित किया था। एआईडीईएफ ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया है। इस निर्णय से स्टाफ साइड (नेशनल काउंसिल, जेसीएम) के सचिव शिवगोपाल मिश्रा को अवगत करा दिया गया है। उन्हें बता दिया गया है कि एनपीएस मंजूर नहीं है। सरकार को सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 (अब 2021) के तहत पेंशन बहाली करनी चाहिए। वृद्धावस्था सुरक्षा का एकमात्र समाधान और रास्ता, पुरानी पेंशन है।

एआईडीईएफ ने प्रारंभ से ही एनपीएस को खारिज किया है। यह संगठन, एनपीएस को खत्म करने और सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 (अब 2021) के तहत पेंशन की बहाली के लिए स्वतंत्र रूप से और जेएफआरओपीएस के फोरम के माध्यम से लगातार संघर्ष कर रहा है। ये नियमित संघर्ष का ही नतीजा है कि सरकार अब एनपीएस में कई सुधार करने के लिए मजबूर हुई है। इन सुधारों में मृत्यु सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी, सेवा के दौरान कर्मचारियों की मृत्यु होने पर पारिवारिक पेंशन और सरकार का योगदान बढ़ाकर 14 प्रतिशत करना, आदि शामिल है।

एआईडीईएफ, एक सभ्य और प्रतिष्ठित पेंशन सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। ये सब बातें केवल, पुरानी पेंशन योजना में ही संभव हैं। सरकारी कर्मियों ने गत वर्ष रामलीला मैदान में एकत्र होकर यह संकल्प लिया था कि एनपीएस वापस होने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। ये कर्मियों के संघर्ष का ही परिणाम था कि मोदी 2.0 सरकार ने एनपीएस में सुधार के लिए वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। 

एआईडीईएफ ने एनपीएस को वापस लेने और सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 (अब 2021) के तहत पेंशन की बहाली की मांग को लेकर उक्त समिति को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। इसके बाद ही समिति की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया गया है। समिति के अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह अपनी संदर्भ शर्तों से आगे नहीं जा सकते। एआईडीईएफ ने जेसीएम के अन्य सदस्यों से भी बैठक का बहिष्कार करने का अनुरोध किया है। जेसीएम के सदस्यों से कहा गया है कि एआईडीईएफ, रक्षा नागरिक कर्मचारियों का एक बड़ा संगठन है। यह संगठन, केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों से सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 (अब 2021) के तहत पेंशन प्राप्त करने के लिए अपने अथक संघर्ष को आगे बढ़ाने की अपील करता है।

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