CRPF: ये कैसी पदोन्नति? कैडर अफसरों को मिले DIG-IPS के 30 पद, आईपीएस के ज्वाइन करते ही छोड़ना पड़ेगा पद

गृह मंत्रालय की जून की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र में आईपीएस प्रतिनियुक्ति के 235 पद खाली पड़े हैं। इनमें से अधिकांश पद आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक में हैं। नतीजा, सीबीआई, आईबी, एनआईए और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में आईपीएस अधिकारियों के लिए स्वीकृत अनेक पद रिक्त पड़े हैं।

केंद्र सरकार में बतौर प्रतिनियुक्ति पर आने वाले ‘आईपीएस’ अफसरों का तय कोटा भर नहीं पा रहा है। खासतौर पर, केंद्रीय जांच एजेंसियों/अर्धसैनिक बलों में आईपीएस अफसरों के अनेक पद रिक्त पड़े हैं। कामकाज प्रभावित न हो, इसके लिए गृह मंत्रालय ने डीओपीटी से आईपीएस प्रतिनियुक्ति के पदों को अस्थायी रूप से कैडर अफसरों की तरफ शिफ्ट करने की इजाजत मांगी थी। डीओपीटी की पर्स, पॉलिसी (आरआर) शाखा ने पिछले सप्ताह गृह मंत्रालय के उक्त प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब सीआरपीएफ में रिक्त पड़े आईपीएस/डीआईजी के 30 पद, वैकेंसी ईयर 2025 के लिए कैडर अफसरों को प्रदान किए गए हैं। इसके जरिए कैडर के कुछ अफसरों को अस्थायी पदोन्नति मिल सकती है। डीओपीटी ने यह भी कह दिया है कि अगर तय अवधि के दौरान कोई आईपीएस ज्वाइन करता है, तो वह पद तभी से खाली समझा जाएगा। यानी कैडर के डीआईजी को वह पद तुरंत प्रभाव से आईपीएस के लिए छोड़ना पड़ेगा। 

गृह मंत्रालय की जून की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र में आईपीएस प्रतिनियुक्ति के 235 पद खाली पड़े हैं। इनमें से अधिकांश पद आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक में हैं। नतीजा, सीबीआई, आईबी, एनआईए और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में आईपीएस अधिकारियों के लिए स्वीकृत अनेक पद रिक्त पड़े हैं। खासतौर पर आईपीएस एसपी और डीआईजी, इस रैंक में अधिकांश आईपीएस अधिकारी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से कतराते हैं। इसी के चलते इन पदों को कैडर अफसरों की ओर शिफ्ट कर दिया जाता है। खाली पदों की स्थिति से निपटने के लिए 2020 में यह व्यवस्था प्रारंभ की गई थी। इसके बाद विभिन्न केंद्रीय बलों में इस व्यवस्था को लागू किया गया है। वैकेंसी ईयर 2025 के लिए सीआरपीएफ में आईपीएस डीआईजी के 30 पदों को अब कैडर अफसरों से भरा जाएगा। इसमें यह शर्त रखी गई है कि आईपीएस के आते ही तुरंत वह पद वापस हो जाएगा। डीओपीटी ने गृह मंत्रालय से कहा है कि 2026 में ऐसा न हो। प्रतिनियुक्ति से जुड़े तय नियमों को रिवाइज करें। बतौर प्रतिनियुक्ति, सभी पद भरना सुनिश्चित किया जाए। डीओपीटी का कहना है कि आईपीएस के लिए कोई पद निर्धारित हैं तो वहां पर आईपीएस डीआईजी ही ज्वाइन करे। 

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बता दें कि लंबे समय से विशेषकर आईपीएस डीआईजी/एसपी, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने का मन नहीं बना पा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक कमेटी ने सुझाव दिया था कि इन अधिकारियों के लिए पैनल प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाए। इसके पूरा होने में काफी समय लगता है। सरकार के इस कदम का मकसद, केंद्र में डीआईजी-रैंक के अधिकारियों की भारी कमी को दूर करना था। कैबिनेट की नियुक्ति समिति के पास यह प्रस्ताव कई बार भेजा गया था। दो साल पहले इसे कमेटी की मंजूरी मिल गई थी। केंद्र सरकार का मानना था कि डीआईजी-रैंक के अधिकारियों के लिए पैनल सिस्टम को खत्म करने से अब प्रतिनियुक्ति पर अधिक आईपीएस केंद्र में आ सकेंगे। मनोनयन प्रक्रिया पूरी होने में करीब एक साल लग जाता था। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा था कि जो भी आईपीएस एसपी या डीआईजी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं आएंगे, उन्हें बाकी सेवा के दौरान केंद्रीय नियुक्ति से प्रतिबंधित किया जा सकता है। इससे पहले केंद्र ने ‘अखिल भारतीय सेवा’ नियमों में संशोधन भी किया था। उसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार, आईएएस व आईपीएस अधिकारी को राज्य की अनुमति या बिना अनुमति के भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला सकती है। इतना कुछ होने पर भी केंद्र में आईपीएस प्रतिनियुक्ति के सभी पद नहीं भरे जा सके। 

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जानकारों का कहना है कि सरकार की चेतावनी के बावजूद केंद्र में आईपीएस प्रतिनियुक्ति का तय कोटा नहीं भर पा रहा है। इसके पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही हैं। पहला, विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। इनकी तरफ से आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में भेजने के लिए पर्याप्त सिफारिशें नहीं की जाती हैं। दूसरा, बहुत से ऐसे अधिकारी भी हैं, जिनका नाम प्रतिनियुक्ति सूची में शामिल होता है, मगर वे ज्वाइन नहीं करते। नतीजा, केंद्र में आईपीएस का कोटा खाली रह जाता है। वर्तमान में आईपीएस प्रतिनियुक्ति के 235 पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पिछले दिनों सीपीओ/सीएपीएफ में खाली पड़े आईपीएस के पदों को भरने के लिए राज्यों को एक रिमाइंडर भेजा था। उसमें कहा गया था कि राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश, अपने तय कोटे के हिसाब से आईपीएस अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजें। राज्यों द्वारा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईपीएस अफसरों की सिफारिश न करने की वजह से केंद्र में आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक में करीब 235 पद खाली पड़े हैं। जून की रिपोर्ट देखें तो केंद्र में एसपी स्तर पर 129 पद रिक्त हैं। डीआईजी रैंक के लिए 81 पद खाली हैं। आईजी रैंक में 25 पद रिक्त हैं। केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आईपीएस एसपी के लिए 228 पद स्वीकृत हैं। डीआईजी के 256 और आईजी के 147 पद मंजूर किए गए हैं। एडीजी के 26 पद स्वीकृत हैं। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में भी एक ऐसा ही पत्र राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा था। उसमें राज्यों से कहा गया था कि वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में आईपीएस अधिकारियों को नामित करें। प्रत्येक कैडर में वरिष्ठ ड्यूटी पदों में से 40 फीसदी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व (सीडीआर) पद के रूप में नामित किया गया है, लेकिन कुछ राज्य सीडीआर उपयोग की तुलना में पर्याप्त नामांकन प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। उस पत्र में अधिकारियों के लिए चेतावनी भी जारी की गई थी। अगर कोई आईपीएस अधिकारी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में चयनित होने के बाद ज्वाइनिंग से मना करता है, तो उसे पांच वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति से बाहर किया जा सकता है। इसमें कोई आईपीएस अपने निजी कारण से या राज्य द्वारा रिलीव नहीं किए जाने से ज्वाइन नहीं कर पाता है, तो भी उसे पांच वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। 

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जिन अधिकारियों ने अपने कैडर में कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा नहीं किया है, उन्हें भी ऑफर लिस्ट में शामिल नहीं किया जाएगा। राज्य पुलिस से ज्यादातर आईपीएस बतौर डीआईजी या एसपी, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए तैयार नहीं होते। इसकी एक बड़ी वजह रही है। वह है कि उन्हें यहां पर पोस्टिंग में च्वाइस नहीं मिलती। जब मन मुताबिक पोस्टिंग नहीं मिलती, तो वे क्यों आएंगे। युवा आईपीएस को जिले में पुलिस कप्तान बनने का क्रेज रहता है। ऐसे में वे प्रतिनियुक्ति से गुरेज करते हैं। आईबी और सीबीआई में भी इसी वजह से आईपीएस एसपी के ज्यादातर पद खाली पड़े रहते हैं। मौजूदा समय में स्टेट पुलिस में डीआईजी का ज्यादा रोल नहीं बचा है। अब तो कई राज्यों में आईएएस के पदों पर भी आईपीएस लगाए जाने लगे हैं। पहले तो सबसे खराब स्थिति सीएपीएफ में रही है। यहां तो डीआईजी के अधिकांश पद रिक्त ही पड़े रहते थे। मजबूरन, आईपीएस डीआईजी के खाली पदों को कैडर अफसरों से भरा जाता था। सीएपीएफ में डीआईजी की सख्त पोस्टिंग होती है, इसलिए वे प्रतिनियुक्ति पर नहीं आते थे। सरकार की सख्ती के चलते अब इन बलों में डीआईजी के पद पर आईपीएस आने लगे हैं।

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