CRPF: अंधाधुंध फायरिंग तो कहीं हैंड ग्रेनेड, रणबांकुरों ने दिया करारा जवाब,कीर्ति-शौर्य चक्र जाबांजों की कहानी

सीआरपीएफ, आतंकवाद और नक्सल प्रभावित इलाकों में लंबे समय से तैनात है। विभिन्न जोखिम भरे अभियानों में इस बल के शूरवीरों ने असाधारण वीरता का परिचय दिया है। सीआरपीएफ के छह बहादुरों को औरंगाबाद ‘बिहार’, श्रीनगर ‘जेएंडके’ और बीजापुर ‘छत्तीसगढ़’ में अभियानों के दौरान उनकी जांबाजी के लिए सम्मानित किया गया है।

नक्सल और आतंकवाद विरोधी अभियानों में देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ के जांबाजों ने असाधारण वीरता का परिचय दिया है। कहीं छिपकर दुश्मन ने सीआरपीएफ दस्ते पर अंधाधुंध फायरिंग की, तो कहीं हैंड ग्रेनेड बरसा कर जवानों का उत्साह कम करने का प्रयास किया। सीआरपीएफ के रणबांकुरों ने आतंकियों और नक्सलियों को करारा जवाब दिया। उन्हें मार गिराया। भीष्ण मुठभेड़ में सीआरपीएफ के कई शूरवीरों ने अपना बलिदान दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को इन्हीं वीरों को कीर्ति चक्र एवं शौर्य चक्र देकर सम्मानित किया है। सीआरपीएफ के चार जांबाजों को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जबकि दो वीरों को शौर्य चक्र से नवाजा गया है। 

ये है वीरता की गौरवगाथा
सीआरपीएफ, आतंकवाद और नक्सल प्रभावित इलाकों में लंबे समय से तैनात है। विभिन्न जोखिम भरे अभियानों में इस बल के शूरवीरों ने असाधारण वीरता का परिचय दिया है। सीआरपीएफ के छह बहादुरों को औरंगाबाद ‘बिहार’, श्रीनगर ‘जेएंडके’ और बीजापुर ‘छत्तीसगढ़’ में अभियानों के दौरान उनकी जांबाजी के लिए सम्मानित किया गया है। 3 अप्रैल 2021 को बीजापुर में माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में उनकी वीरता के लिए चार सीआरपीएफ बहादुरों को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। उस दिन, बीजापुर जिले के थाना तर्रेम के सिलगेर वन क्षेत्र में 210 कोबरा, 241 बटालियन सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा एक संयुक्त माओवादी विरोधी अभियान संचालित गया था। अभियान में तब गंभीर मोड़ आ गया जब माओवादियों ने जवानों पर घात लगाकर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। भारी मात्रा में हैंड ग्रेनेड से हमला कर दिया। 

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छह घंटे तक बहादुरी से लड़ाई लड़ी
यह अभियान बेहर खतरनाक था। घने जंगल में प्रतिकूल और खतरनाक स्थिति के बावजूद, जवानों ने असाधारण साहस का प्रदर्शन किया। शुरुआती हमले का मुकाबला करते हुए जवानों ने दृढ़ संकल्प के साथ जवाबी कार्रवाई की। उन्होंने छह घंटे तक बहादुरी से लड़ाई लड़ी। माओवादियों को भारी नुकसान पहुंचाया। नतीजा, माओवादियों को अंततः घटनास्थल से भागना पड़ा। इस भीषण मुठभेड़ में 210 कोबरा के सात और 241 बटालियन के एक जवान सहित कुल 22 रणबांकुरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।

इनमें से चार बहादुरों-शहीद इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास, शहीद हेड कॉन्स्टेबल राज कुमार यादव, शहीद कॉन्स्टेबल बबलू राभा और शहीद कॉन्स्टेबल शंभु रॉय को उनकी असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित  किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चारों शहीदों के परिजनों को कीर्ति चक्र प्रदान किया है। शहीद इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास की पत्नी वीर नारी प्रांजलि दास, शहीद हेड कांस्टेबल राज कुमार यादव की पत्नी वीर नारी ज्ञानमती यादव, शहीद कांस्टेबल बबलू राभा की पत्नी वीर नारी लिपिका राभा व उनकी मां कल्याणी राभा और शहीद कांस्टेबल शंभु रॉय की मां अंजुली रॉय ने कीर्ति चक्र प्राप्त किया।  

बायां पैर खोने के बावजूद मोर्चे पर डटे रहे
25 फरवरी 2022 को चकरबंधा वन क्षेत्र, थाना मदनपुर, जिला औरंगाबाद में नक्सलियों के विरुद्ध तलाशी अभियान संचालित किया गया था। इसमें सीआरपीएफ की 205 कोबरा व 47 बटालियन और बिहार पुलिस शामिल थी। अभियान के दौरान, जैसे ही जवान अपने लक्ष्य के पास पहुंचे, माओवादियों ने जवानों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। अटूट दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए, सहायक कमांडेंट बिभोर कुमार सिंह ने हमले की कमान संभाली। 

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भीषण गोलीबारी के बीच नक्सलियों ने आईईडी का इस्तेमाल किया। सीआरपीएफ दस्ते ने नक्सलियों को करारा जवाब दिया। नतीजा, माओवादी पीछे हट गए। आईईडी विस्फोट में अपना बायां पैर खोने तथा गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, बिभोर कुमार सिंह अपने जवानों का नेतृत्व करना जारी रखा। इसके परिणामस्वरूप नक्सलियों के हाइड आउट पर कब्जा कर लिया। आईईडी बनाने की सामग्री बरामद की। मुठभेड़ में असाधारण बहादुरी, अदम्य इच्छाशक्ति तथा अद्वितीय रणकौशल के लिए सहायक कमांडेंट बिभोर कुमार सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। 

घर में छिपे आतंकवादी से हाथापाई
19 दिसंबर 2021 को, दरबाग क्षेत्र, थाना हरवान में सीआरपीएफ की वैली क्यूएटी, सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से आतंकवाद विरोधी अभियान संचालित किया गया था। खुफिया सूचना पर कार्रवाई करते हुए, एक घर में छिपे आतंकवादी को मार गिराने के लिए एक हाउस इंटरवेंशन टीम का गठन किया गया। अभियान के दौरान कांस्टेबल गामित मुकेश कुमार और उनके साथी ने घर में छिपे आतंकवादी से हाथापाई की। उसे घर से बाहर निकलने के लिए विवश कर दिया। भीषण गोलीबारी के बीच, कांस्टेबल गामित मुकेश कुमार ने अतुलनीय साहस और रणकौशल का प्रदर्शन करते हुए अंततः आतंकवादी को मार गिराया। मौके से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया। अदम्य साहस, रणकौशल एवं दृढ़ता के लिए कांस्टेबल गामित मुकेश कुमार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।

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