आतंकवाद का पूरी तरह से खात्मा करेगी CRPF, 15 से अधिक जगहों पर सीआरपीएफ की बटालियन कैंपिंग साइट

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे में आखिरी कील सीआरपीएफ ठोकेगी। इसके लिए एक दर्जन से अधिक जगहों पर सीआरपीएफ की बटालियन कैंपिंग साइट ‘बीसीएस’ स्थापित की जा रही हैं।

जम्मू-कश्मीर में अगले तीन वर्षों के दौरान आतंकवाद को जड़ से खत्म करना, इस प्लान पर काम शुरू हो गया है। विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य की एजेंसियां, इस टारगेट को पूरा करने में जुट गई हैं। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ को बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की बात कही जा रही है। सूत्रों का कहना है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे में आखिरी कील सीआरपीएफ ठोकेगी। इसके लिए एक दर्जन से अधिक जगहों पर सीआरपीएफ की बटालियन कैंपिंग साइट ‘बीसीएस’ स्थापित की जा रही हैं। इसके लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा सीआरपीएफ को जमीन अलॉट करने की प्रकिया शुरू हो गई है। फिलहाल, सीआरपीएफ की 43 बटालियन और 53 बटालियन सहित कुछ यूनिटों को बीसीएस के लिए जमीन दे दी गई है।

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, पिछले कई वर्षों से जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खात्मे की लड़ाई में सीआरपीएफ की बड़ी भूमिका रही है। इस बल की ‘वेली क्यूएटी’ ने आतंकवाद की कमर तोड़ने में खास योगदान दिया है। गत वर्ष राज्य में सेना की राष्ट्रीय राइफल ‘आरआर’ की तर्ज पर बल की तैनाती व्यवस्था को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। यह भी कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशनों में भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स ‘आरआर’ की संख्या में कुछ कटौती की जा सकती है। वहां ‘राष्ट्रीय राइफल’ की मारक क्षमता में ‘सीआरपीएफ’ को लाने के बारे में गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इसके लिए सीआरपीएफ को सेना के ऑपरेशन पैटर्न पर आगे बढ़ाया जा रहा है

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देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ को सीएसआरवी और जेसीबी जैसे बुलेट प्रूफ वाहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। व्हील्ड आर्मर्ड एंफीबियस (डब्ल्यूएचएपी) भी सीआरपीएफ को मुहैया कराया गया है। यह एक लंबी प्रक्रिया है। भारतीय सेना की ‘राष्ट्रीय राइफल’ को धीरे-धीरे आतंकरोधी अभियानों से हटाया जाएगा। ऐसा संभव है कि शुरुआत में ‘राष्ट्रीय राइफल’ की एक बटालियन को कुछ कंपनियों तक सीमित कर दिया जाए। इसके लिए सीआरपीएफ के मूलभूत ढांचे और पॉलिसी में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। जंगल वॉरफेयर में एक्सपर्ट सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन भी जम्मू-कश्मीर में तैनात हो चुकी हैं। अब बल की इकाई को माउंटेन वारफेयर ट्रेनिंग देने की तैयारी चल रही है। सूत्रों का कहना है कि सीआरपीएफ को जम्मू कश्मीर के हर हिस्से में तैनात किया जाएगा। प्लानिंग के मुताबिक, कुछ समय बाद आतंकियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों को सीआरपीएफ के जांबाज लीड कर सकते हैं। 

अगले तीन वर्ष में आतंकवाद का पूर्ण सफाया करने का जो प्लान तैयार किया गया है, उसमें सीआरपीएफ को बड़ी भूमिका में रखा जाएगा। इसके लिए सीआरपीएफ की यूनिटों को खुद के भवन/परिसर मुहैया कराए जा रहे हैं। अकेले कश्मीर में ही एक दर्जन से अधिक स्थानों पर सीआरपीएफ की ‘बटालियन कैंपिंग साइट’ के लिए जमीन मुहैया कराई जा रही है। 43 बटालियन और 53 बटालियन को जमीन अलॉट हो चुकी है। इसके लिए बल की तरफ से तय राशि जमा कराई गई थी। बडगाम और बारामूला में बल की यूनिटों को 150 कनाल से अधिक जमीन अलॉट की गई है। 

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जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ की बटालियनों को ‘राष्ट्रीय राइफल्स’ के पैटर्न पर ‘एरिया ऑफ रिस्पांसिबिलिटी’ (एओआर) यानी जिम्मेदारी का क्षेत्र तय करने के लिए कहा गया है। श्रीनगर की कुछ बटालियनों को ‘आरआर’ की तैनाती वाले स्थानों पर भेजने की बात कही गई है। जम्मू कश्मीर में तैनात भारतीय सेना की ‘आरआर’ की कुछ यूनिटों को भारत-चीन सीमा पर भेजा जा सकता है। सीआरपीएफ को बुलेट प्रूफ वाहन मुहैया कराए गए हैं। किसी मुठभेड़ के दौरान कोई आतंकी घर में छिपा है, तो उसे नए वाहनों की मदद से निपटाने में बड़ी मदद मिलती है। बुलेट-प्रूफ जेसीबी ने यह काम और भी ज्यादा आसान कर दिया है।

सीएसआरवी और जेसीबी में एक ‘फोर्कलिफ्ट’ पर बुलेट-प्रूफ केबिन लगा होता है। इसकी मदद से सुरक्षाकर्मी, आतंकियों के खिलाफ एक ऊंचाई वाले प्लेटफार्म से ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। सीआरपीएफ ने अपने ड्रोन सिस्टम के जरिए भी आतंकवाद रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। व्हील्ड आर्मर्ड एम्फीबियस में मॉड्यूलर बैलिस्टिक शील्ड और ऑटोमैटिक ग्रेनेड लॉन्चर भी है। इसका वजन लगभग 24 टन है। इसकी लंबाई आठ मीटर और चौड़ाई तीन मीटर है। यह 10 जवानों और एक ड्राइवर को ले जाने में सक्षम है। व्हील्ड आर्मर्ड एम्फीबियसह वाहन पूरी तरह से बुलेटप्रूफ और बारूदी सुरंग से सुरक्षित है। इसमें एक स्वचालित टायर-इन्फ्लेशन प्रणाली और एमएमजी (मध्यम मशीन गन) को फायर करने के लिए एक रिमोट-कंट्रोल हथियार प्रणाली (आरसीडब्ल्यूएस) लगा है। इस वाहन के अंदर बैठकर आतंकियों पर सटीक फायर किया जा सकता है।

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