पुलिस उपमहानिरीक्षक (कल्याण) महानिदेशालय सीआरपीएफ के बेतार संख्या एम. पांच 1/2021-22 सीडब्ल्यूएफ आदेश जोकि दिनांक 8/2022 को जारी किया गया था कि अब सेवानिवृत्त अर्ध सैनिकों व उनके परिवारिक सदस्यों, शहीद परिवार व उनके आश्रितों को अब इन पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी ) के तहत पंजीकरण, मेडिकल जांच व दवाइयाँ नहीं दी जाएंगी।

अलॉइंस आफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए इस प्रकार के तुगलकी फरमान की घोर निंदा करते हुए कहा कि जिस जवान ने अपनी पुरी जिंदगी के महत्वपूर्ण 40 साल देश की एकता अखंडता, कानून व्यवस्था बनाए रखने व देश की चाक चौबंद चौकसी में गुजार दिए आज उन्हें सीआरपीएफ कम्पोजिट अस्पतालों में आईपीडी फेसलिटी से महरूम किया जा रहा है। दुख की बात कि देश के लिए जान कुर्बान करने वाले जांबाजों के परिवारों को भी नहीं बक्शा गया। हमें तो अपनों ने ही नारा गैरों में क्या दम था ये वाला मुहावरा यहाँ सटीक बैठता है।
रणबीर सिंह ने अचरज जताते हुए कहा कि उपरोक्त तुगलकी फरमान दिनांक 8 फरवरी 2022 को जारी हुआ और अब जब समस्त देशवासी आजादी के 75वें अमृत महोत्सव मना रहे हैं तब इस डिजिटल युग मे गैरजिम्मेदाराना फरमान को पुलिस उपमहानिरीक्षक (चिकित्सा) बंगलोर के पास पहुंचने में दो साल नब्बे दिन लग गए। ज्ञातव्य रहे कि उपरोक्त फरमान अभी 31 मई 2024 को डीआईजी चिकित्सा बंगलोर द्वारा जारी किया गया।
एक तरफ केंद्रीय सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सुरक्षा बलों के परिवारों के लिए सीएपीएफ आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत पांच लाख तक का मुफ्त इलाज देने की स्कीम ले कर आई तो दुसरी ओर जो सीआरपीएफ कम्पोजिट अस्पतालों ने आईपीडी सुविधा बंद कर दी जिसके कारण बेहतर इलाज की आस लगाये हजारों हजार परिवारों ने कम्पोजिट अस्पतालों के आस पास अपनी महंगी कमाई से आशियाना बनवाएं अब वो परिवार इलाज के लिए जाएं तो जाएं कहाँ। क्या बितेगी उन शहीदों की विरांगनाओं पर जिनके चांद ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। शहीद जवानों के बुढे माँ बाप अब इलाज के लिए कहाँ गुहार लगाएं।
एशोसिएशन महासचिव ने उम्मीद जताई कि विश्व शांति रक्षक बल (सीआरपीएफ) चिकित्सा महानिदेशालय अपने 8 फरवरी 2024 के आदेश जिसमें रिटायर्ड कर्मियों व शहीद पैरामिलिट्री चौकीदारों के आश्रितों को फिर से इन पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) सुविधा देने हेतु आदेश पारित करेंगे ताकि देश के विभिन्न क्षेत्रों में कम्पोजिट अस्पतालों के आस पास बसे हजारों रिटायर्ड अर्ध सैनिक परिवार बेहतर चिकित्सा सुविधाओं का फायदा उठा सकें।
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