अब सीआरपीएफ के पीडीजी दस्ते का दायरा बढ़ाया जा सकता है। वजह, संसद की ड्यूटी से अब पीडीजी को मुक्त कर दिया गया है। एनएसजी की वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट, स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की ड्यूटी, पूरी तरह से सीआरपीएफ की वीआईपी सिक्योरिटी इकाई को सौंप दी जाएगी।
देश में अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नया खाका खींचा जा रहा है। इस बाबत बुधवार को नॉर्थ ब्लॉक में एक अहम बैठक हुई। कई घंटे तक चली इस बैठक में सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह, एनएसजी के डीजी नलिन प्रभात और आईबी से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, संसद की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप ‘पीडीजी’ को हटाए जाने के बाद अब वीवीआईपी सुरक्षा घेरे में बड़ा बदलाव किया जाएगा। जो नई व्यवस्था तैयार हो रही है, उसमें एनएसजी को वीआईपी सुरक्षा से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। एनएसजी की वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट, स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की ड्यूटी, पूरी तरह से सीआरपीएफ की वीआईपी सिक्योरिटी इकाई को सौंप दी जाएगी।
सूत्रों ने बताया, गृह मंत्रालय में हुई बैठक में कई बातों पर विचार हुआ है। सीआरपीएफ के अलावा दूसरे ऐसे केंद्रीय बल, जो वीआईपी सुरक्षा में तैनात हैं, उन्हें लेकर भी एक संयुक्त पॉलिसी तैयार करने पर चर्चा हुई है। अभी तक वीआईपी सुरक्षा में ज्यादातर एनएसजी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ व आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दायित्व ‘एसपीजी’ के कंधों पर है। एसपीजी में अधिकांश जवान, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से आते हैं। पांच वर्ष पहले कई अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ‘एसपीजी’ के पास थी, उनकी सुरक्षा भी सीआरपीएफ को सौंपी गई थी। अब राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) से वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी वापस ली जा रही है।
अब सीआरपीएफ के पीडीजी दस्ते का दायरा बढ़ाया जा सकता है। वजह, संसद की ड्यूटी से अब पीडीजी को मुक्त कर दिया गया है। एनएसजी की वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट, स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की ड्यूटी, पूरी तरह से सीआरपीएफ की वीआईपी सिक्योरिटी इकाई को सौंप दी जाएगी। एनएसजी को उसके मूल काम यानी आतंकवाद विरोधी और अपहरण रोधी अभियानों का विशिष्ट दायित्व सौंपा जाएगा। एनएसजी अपने मूल चार्टर और उच्च जोखिम वाले वीआईपी की सुरक्षा के कार्य पर ध्यान केंद्रित करेगी।
अमित शाह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद इस प्रपोजल पर विचार शुरू हुआ था कि एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो को वीवीआईपी सुरक्षा से मुक्त कर दिया जाए। जिन वीवीआईपी की सुरक्षा, एनएसजी को सौंपी गई थी, उसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हवाले कर दिया जाए।
पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप की ट्रेनिंग एवं उपकरणों पर बहुत पैसा खर्च हुआ है। पीडीजी एक स्पेशल फोर्स रही है। ऐसे में अब इस फोर्स को क्या जिम्मेदारी दी जाए। यह तय हुआ कि पीडीजी को वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया जाए। सीआरपीएफ के पास, तो पहले से ही अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा के लिए एक खास विंग है। इस प्रस्ताव के साथ ही कई वर्षों से फाइलों में चल रहा ‘एनएसजी’ का मसला भी आगे बढ़ गया। इस बाबत कई माह पहले एक अहम बैठक हो चुकी है। उसमें आईबी चीफ, सीआरपीएफ डीजी और एनएसजी डीजी मौजूद रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, नॉर्थ ब्लॉक में हुई बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है कि एनएसजी सुरक्षा प्राप्त लोगों की हिफाजत का काम अब सीआरपीएफ को सौंप दिया जाए। पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद, बसपा प्रमुख मायावती, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू व छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के पास एनएसजी सुरक्षा है।
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