CRPF-NSG: VIP सुरक्षा में ब्लैक कैट कमांडो के SRG ग्रुप की जगह लेगी सीआरपीएफ, नौ नेताओं से छिनेगी एनएसजी

एनएसजी को उसके मूल कार्य में लगाने के लिए कई वर्षों से प्रयास चल रहा था। अमित शाह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद इस प्रपोजल पर विचार शुरू हुआ था। 2019 में ही पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा में तैनात ‘एसपीजी’ कवर वापस ले लिया गया था।

संसद की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप ‘पीडीजी’ को हटाए जाने के बाद वीवीआईपी सुरक्षा घेरे में भी बड़े बदलाव की आहट सुनाई पड़ रही है। अभी तक वीआईपी सुरक्षा में ज्यादातर एनएसजी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ व आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दायित्व ‘एसपीजी’ के कंधों पर है। एसपीजी में अधिकांश जवान, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से आते हैं। पांच वर्ष पहले कई अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ‘एसपीजी’ के पास थी, उनकी सुरक्षा भी सीआरपीएफ को सौंपी गई थी। अब राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) से वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी वापस ली जा रही है। संसद की ड्यूटी से मुक्त हुए सीआरपीएफ के पीडीजी दस्ते का दायरा अब बढ़ाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव के बाद एनएसजी की वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट, स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की ड्यूटी, पूरी तरह से सीआरपीएफ की वीआईपी सिक्योरिटी इकाई को सौंप दी जाएगी। एसएसजी को उसके मूल काम यानी आतंकवाद विरोधी और अपहरण रोधी अभियानों का विशिष्ट दायित्व सौंपा जाएगा। एनएसजी अपने मूल चार्टर और उच्च जोखिम वाले वीआईपी की सुरक्षा के कार्य पर ध्यान केंद्रित करेगी।

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कई वर्षों से चल रहा था प्रयास
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, एनएसजी को उसके मूल कार्य में लगाने के लिए कई वर्षों से प्रयास चल रहा था। अमित शाह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद इस प्रपोजल पर विचार शुरू हुआ था। 2019 में ही पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा में तैनात ‘एसपीजी’ कवर वापस ले लिया गया था। उसी वक्त इस बात पर भी विचार किया जाने लगा कि एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो को भी वीवीआईपी सुरक्षा से मुक्त कर दिया जाए। जिन वीवीआईपी की सुरक्षा, एनएसजी को सौंपी गई थी, उसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हवाले कर दिया जाए। इस मामले में कई उच्चस्तरीय अधिकारियों से रिपोर्ट ली गई। गत वर्ष 13 दिसंबर को संसद परिसर की सुरक्षा में हुई चूक के बाद वहां से पीडीजी को हटाने की कवायद शुरू कर दी गई। पिछले दिनों पीडीजी को संसद भवन से पूरी तरह हटा लिया गया है। अब संसद परिसर की सुरक्षा, सीआईएसएफ को सौंपी गई है। हालांकि 13 दिसंबर की घटना में पीडीजी की कहीं पर कोई चूक सामने नहीं आई थी। यह बात जांच रिपोर्ट में भी सामने आई थी। इसके बावजूद पीडीजी को हटाने का निर्णय ले लिया गया। पीडीजी दस्ते ने भरे मन से संसद परिसर को अलविदा कहा।

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एनएसजी का मसला भी आगे बढ़ गया
इसके बाद यह विचार किया जाने लगा कि पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप की ट्रेनिंग एवं उपकरणों पर बहुत पैसा खर्च हुआ है। ये एक स्पेशल फोर्स थी। ऐसे में अब इस फोर्स को क्या जिम्मेदारी दी जाए। यह तय हुआ कि पीडीजी को वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया जाए। सीआरपीएफ के पास तो पहले से ही अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा के लिए एक खास विंग है। इस प्रस्ताव के साथ ही कई वर्षों से फाइलों में चल रहा ‘एनएसजी’ का मसला भी आगे बढ़ गया। इस बाबत कई माह पहले एक अहम बैठक हो चुकी है। उसमें आईबी चीफ, सीआरपीएफ डीजी व एनएसजी डीजी मौजूद रहे थे। सूत्रों के अनुसार, नॉर्थ ब्लॉक में इस सप्ताह भी एक मीटिंग प्रस्तावित है। देश में नौ ऐसे वीवीआईपी, जिन्हें एनएसजी सुरक्षा प्राप्त है, की सुरक्षा सीआरपीएफ को सौंप दी जाएगी। इनमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद, बसपा प्रमुख मायावती, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्समंत्री चंद्र बाबू नायडू व छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह शामिल हैं।

क्या नए सुरक्षा दस्ते को मिलेंगे विशेष भत्ते
स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की तरह सीआरपीएफ सिक्योरिटी ड्यूटी ग्रुप को कोई नया नाम मिल सकता है। सूत्रों का कहना है, एनएसजी कमांडो को विशेष भत्ते मिलते हैं। एसपीजी को भी ऐसे ही भत्ते दिए जाते हैं, तो क्या नए वीवीआईपी सुरक्षा दस्ते को भी वे भत्ते मिलेंगे। अभी तक सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा इकाई को विशेष भत्ते नहीं मिलते हैं। ये अलग बात है कि देश में सर्वाधिक अति विशिष्ट व्यक्तियों के पास सीआरपीएफ सुरक्षा है। इस प्रस्ताव को फाइनल मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) को उसके मूल कार्य, यानी आतंकवाद विरोधी और अपहरण रोधी अभियानों जैसै विशिष्ट कार्यों को दायित्व सौंप दिया जाएगा। एनएसजी को वीआईपी सुरक्षा की ड्यूटी से हटाए जाने के बाद लगभग 500 कमांडो मुक्त हो जाएंगे।

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