पीरटांड़ प्रखण्ड के पालगंज निवासी बीएसएफ जवान शहीद सीताराम उपाध्याय की छठे शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई। पैतृक घर में पूजा आराधना कर आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। हालांकि सीताराम उपाध्याय की याद में तोरण द्वार अथवा प्रतिमा स्थापित नहीं होने का ग्रामीणों को मलाल है।
छह वर्ष पूर्व 18 मई 2018 को पालगंज निवासी बीएसएफ जवान सीताराम उपाध्याय भारत पाकिस्तान सीमा पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए सर्वोच्च बलिदान को प्राप्त किया था। कम उम्र में ही सीताराम उपाध्याय ने पाक रेंजर की गोली सीने में खाकर देश के लिए कुर्बानी दी थी।
सीताराम के शहादत पर प्रत्येक साल श्रद्धांजलि दी जाती है। शनिवार को सीताराम उपाध्याय के छठे शहादत दिवस पर पैतृक गांव पालगंज में सुंदर कांड पाठ का आयोजन किया गया। पूजा आराधना के बाद शहीद को श्रद्धांजलि दी गई। शहीद की याद में युवाओं द्वारा कैंडल मार्च निकालकर शहादत को याद किया गया पर शहीद सीताराम उपाध्याय के यादगार में पालगंज मोड़ में तोरण द्वार अथवा प्रतिमा स्थापित नहीं होने का पालगंज वासियों को मलाल है।
गौरतलब है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा पालगंज मोड़ में शहीद सीताराम उपाध्याय के नाम तोरण द्वार बनाने का भरोसा दिया गया था। नेताद्वय द्वारा तोरण द्वार का विधिवत शिलान्यास भी कराया गया था। तोरण द्वार निर्माण को लेकर गड्ढ़े भी खुदवाए गए पर योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई। तोरण द्वार नहीं बनने की खूब चर्चा भी हो रही है। लोग सोशल मीडिया के जरिये नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं
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