केंद्र सरकार के ऐसे कर्मचारी, जिन्होंने ‘सामान्य भविष्य निधि’ (जीपीएफ) में एक वर्ष के दौरान पांच लाख रुपये से अधिक की राशि जमा कराई है, तो उन्हें ब्याज मिलेगा या नहीं, इस बाबत स्थिति स्पष्ट हो गई है। केंद्र सरकार ने अब जीपीएफ खाते में एक वर्ष के दौरान केवल पांच लाख रुपये ही जमा कराने का नियम बना रखा है। इसके बावजूद अनेक कर्मचारी या अधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने उक्त सीमा के पार जाकर ‘जीपीएफ’ में पैसे जमा कराए हैं। भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अंतर्गत ‘पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग’ ने अब स्पष्ट कर दिया है कि जिन कार्मिकों ने 2022-2023 में अपने जीपीएफ खाते में पांच लाख रुपये से अधिक राशि जमा कराई है, उन्हें तय नियमों के अनुसार ब्याज मिलेगा।
पहले छह फीसदी से अधिक राशि जमा होती थी
इस मामले में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की तरफ से उन नियमों को स्पष्ट करने की मांग की जा रही थी, जिनके तहत जीपीएफ में एक तय राशि जमा कराने का प्रावधान है। पहले यह नियम था कि कोई भी कर्मचारी, भविष्य निधि में अपने कुल मेहनताने का छह फीसदी जमा कराता था। कई ऐसे कर्मचारी भी थे, जो अपने मेहनताने का छह, दस या बीस फीसदी और उससे ज्यादा राशि भी जमा करा देते थे। इस जमा राशि पर जो ब्याज मिलता है, वह सामान्य तौर पर बैंकों के मुकाबले ज्यादा रहता है। मौजूदा समय में जीपीएफ के खाताधारकों को 7.1 फीसदी दर से ब्याज मिलता है। जुलाई 2022 में जीपीएफ नियमों में बदलाव किया गया। इसके चलते आयकर के नियमों में भी परिवर्तन हुआ। जीपीएफ में सालाना पांच लाख रुपये जमा कराने की सीमा तय कर दी गई। अगर किसी कार्मिक ने 2022-23 के वित्तीय वर्ष में पांच लाख रुपये से ज्यादा राशि, जीपीएफ में जमा कराई है, तो उस पर ब्याज मिलेगा या नहीं, इस पर मंत्रालयों की तरफ से सवाल पूछे जा रहे थे। अब ‘पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग’ ने स्पष्ट कर दिया है कि पांच लाख रुपये से ज्यादा जमा हुई राशि पर भी ब्याज मिलेगा।
दो वर्ष पहले पांच लाख रुपये की सीमा तय
केंद्रीय कर्मियों पर पांच लाख रुपये से ज्यादा की राशि जीपीएफ में जमा नहीं कराने का नियम दो वर्ष पहले लागू किया गया था। उस वक्त आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और दूसरी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को इस दायरे में बाहर रखा गया था। वजह, अखिल भारतीय सेवा ‘भविष्य निधि नियम 1955’, केंद्र सरकार के सिविल कर्मी, रक्षा विभाग और रेलवे में कुछ नियम अलग होते हैं। हालांकि ये नियम आपस में मिलते-जुलते हैं, लेकिन इनके नियमों का सैट अलग रहता है। डीओपीटी ने कहा था कि जब तक अखिल भारतीय सेवा ‘भविष्य निधि नियम 1955’ में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक इस सेवा के अधिकारियों पर भी वही नियम लागू होंगे। पिछले साल पहली जनवरी से आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और दूसरी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के जीपीएफ खाते में जमा कराई जाने वाली राशि पर ‘कैप’ लगा दी गई। इसके बाद ये सभी अधिकारी भी, जीपीएफ में पांच लाख रुपये से ज्यादा की राशि जमा नहीं करा सकेंगे। इस बाबत सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया था।
जीपीएफ की अधिकतम राशि पर पूछे गए ये सवाल
दो वर्ष पहले डीओपीटी के समक्ष, कुछ ऐसे सवाल भी आए थे कि जिन कर्मियों की 2022-23 में जमा राशि पांच लाख रुपये के करीब पहुंचने वाली थी तो उस स्थिति में क्या किया जाए। पेंशन मंत्रालय ने कहा था कि पहले जीपीएफ में कम से कम छह फीसदी राशि जमा कराना अनिवार्य था। यानी जो भी कर्मी जीपीएफ के दायरे में आता है, उसे इतनी राशि तो जमा करानी ही पड़ती थी। बहुत से कर्मचारी इससे ज्यादा राशि भी जमा कराते थे। इसके बाद जीपीएफ खाते में छह फीसदी राशि जमा कराने वाली शर्त लागू हो गई। इसकी अधिकतम राशि भी तय कर दी गई। इसके चलते कोई भी कर्मचारी या अधिकारी किसी भी तरह से पांच लाख रुपये से अधिक की राशि जीपीएफ में जमा नहीं करा सकता। 2022-23 के लिए जिन कर्मियों की राशि पांच लाख रुपये से अधिक हो गई है, उनके खाते पर कैप लगा दी जाए। तब कहा गया था कि चालू वित्त वर्ष के लिए उनके जीपीएफ खाते में कोई राशि जमा नहीं होगी। जिन कर्मियों की जमा राशि पांच लाख रुपये होने वाली है, वहां भी ध्यान रखा जाए कि वह पांच लाख रुपये के ऊपर न जाने पाए। इसके बावजूद अनेक कार्मिकों ने अपने जीपीएफ खाते में पांच लाख रुपये से अधिक राशि जमा करा दी।
मार्च में तीनों सेनाओं के अफसरों पर भी ये नियम लागू
केंद्र सरकार ने मार्च में तीनों सेनाओं के अधिकारियों के वित्तीय फायदों पर भी कैंची चला दी। प्रधान रक्षा लेखा नियंत्रक (अधिकारी) द्वारा जारी पत्र में कहा गया था कि रक्षा क्षेत्र के सभी अधिकारी, अपने ‘जनरल प्रोविडेंट फंड’ अकाउंट यानी ‘सामान्य भविष्य निधि’ खाते में एक वर्ष के दौरान केवल पांच लाख रुपये ही जमा करा सकेंगे। सरकार ने सैन्य बलों में भी ‘जीपीएफ’ में पैसा जमा कराने की अधिकतम सीमा तय कर दी है। इससे पहले सेना के वरिष्ठ अफसर हर माह अपनी बेसिक सेलरी का एक बड़ा हिस्सा, जीपीएफ खाते में जमा करा देते थे। इसके चलते सरकार ने ‘जनरल प्रोविडेंट फंड’ में जमा कराई जाने वाली राशि की एक सीमा निर्धारित कर दी। भारत सरकार के सबसे पुराने विभागों में से एक ‘रक्षा लेखा विभाग’ (डीएडी) के अंतर्गत आने वाले पीसीडीए (ओ) द्वारा 19 मार्च को उक्त आदेश जारी किया गया था।