मामला सिपाही जीडी भर्ती 2018 से जुड़ा है। उस भर्ती में 60 उम्मीदवार ऐसे थे, जो मेडिकल आधार पर अनफिट थे, लेकिन जांच में उन्हें फिट दिखाया गया। इनमें से 17 युवाओं का मेडिकल सीआरपीएफ के डाक्टरों ने किया था। खास बात है कि 17 में से सात उम्मीदवारों का चयन सीआरपीएफ के लिए हुआ था। बाकी उम्मीदवारों को दूसरे बल अलॉट किए गए थे।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सिपाही पद के लिए संपन्न हुई भर्ती प्रक्रिया, सवालों के घेरे में है। हैरानी की बात ये है कि मेडिकल जांच में 60 अनफिट उम्मीदवारों को फिट बता दिया गया। ज्वाइनिंग के वक्त हुए मेडिकल में यह मामला खुल गया। मामले की प्रारंभिक जांच हुई। सीएपीएफ के एडीजी मेडिकल ने इस मामले को सही पाया। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेजी। सीआरपीएफ सहित कई बलों के डॉक्टर रडार पर आ गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ के आदेश जारी कर दिए।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, यह मामला सिपाही जीडी भर्ती 2018 से जुड़ा है। उस भर्ती में 60 उम्मीदवार ऐसे थे, जो मेडिकल आधार पर अनफिट थे, लेकिन जांच में उन्हें फिट दिखाया गया। इनमें से 17 युवाओं का मेडिकल सीआरपीएफ के डाक्टरों ने किया था। खास बात है कि 17 में से सात उम्मीदवारों का चयन सीआरपीएफ के लिए हुआ था। बाकी उम्मीदवारों को दूसरे बल अलॉट किए गए थे। इस मेडिकल प्रकिया को संपन्न कराने के मकसद से सीआरपीएफ के 16 मेडिकल अफसर/सीएमओ की ड्यूटी लगाई गई। इनके द्वारा मेडिकल जांच में फिट बताए गए उम्मीदवार, ज्वाइनिंग के वक्त अनफिट मिले। मेडिकल अफसर, सीनियर मेडिकल अफसर/सीएमओ, सीआरपीएफ के समूह केंद्र ‘जीसी’ पुणे और नागपुर सहित कई दूसरे ग्रुप सेंटरों पर कार्यरत थे।
जैसे डॉ. सुशील कुमार, एसएमओ जीसी पुणे, ने युवराज गोकुल का मेडिकल किया था। आठ फरवरी 2020 को हुई विस्तृत चिकित्सा परीक्षा (डीएमई) में उसे फिट दिखाया गया। मार्च 2021 के दौरान ज्वाइनिंग के वक्त जब दोबारा से मेडिकल हुआ तो उसमें युवराज गोकुल, अनफिट मिले। यह मेडिकल प्रक्रिया सीआरपीएफ जीसी नागपुर में संपन्न हुई थी। वह युवक ‘स्कोलियोसिस ऑफ थोरेसिक स्पाइन’, जो एक स्थायी बीमारी समझी जाती है, से पीड़ित था। इसके बावजूद ‘विस्तृत चिकित्सा परीक्षा’ में उसे अनफिट घोषित नहीं किया गया।
दूसरा केस भी डॉ. सुशील कुमार से जुड़ा है। उन्होंने 11 जनवरी 2020 को वाघमारे केतन भीकू का मेडिकल किया था। बाद में ज्वाइनिंग के वक्त यह उम्मीदवार भी अनफिट पाया गया। अनफिट होने का कारण, ‘सिंडेक्टली ऑफ मिडल एंड रिंग फिंगर ऑफ बोथ हैंड्स’ था। इसे भी एक तरह की स्थायी बीमारी माना जाता है।
तीसरा केस, जीसी पुणे में डॉ. संतोष कुमार ‘एमओ’ से जुड़ा है। उन्होंने हम्बार्डे पवन कुमार बिभिशान का मेडिकल किया था। उम्मीदवार को मेडिकल प्रक्रिया में फिट दिखाया गया, लेकिन जीसी सीआरपीएफ नागपुर में ज्वाइनिंग के दौरान उसे अनफिट बता दिया गया। उसे ‘सिंडेक्टली ऑफ टोज ऑफ बोथ फुट’ की बीमारी थी। इसे भी स्थायी बीमारी माना जाता है।
चौथा मामला डॉ. मंजू शाह, एसएमओ का है। उन्होंने नीमगडे पराशिक विलास का मेडिकल किया था। 20 जनवरी 2020 को विस्तृत चिकित्सा परीक्षा में उसे फिट बताया गया। जब उसने जीसी सीआरपीएफ पुणे में ज्वाइन किया, तो वह अनफिट मिला। उसे भी एक स्थायी तरह की बीमारी थी।
इसी तरह से दूसरे बलों में भी ऐसी शिकायतें देखने को मिलीं। सीएपीएफ के एडीजी मेडिकल, ने इस मामले की जांच पड़ताल की। उनके द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ के आदेश जारी किए। जांच में यह देखा जाएगा कि किन परिस्थितियों में डॉक्टरों ने ऐसी रिपोर्ट तैयार की है। उसके पीछे क्या कारण रहे। ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ की रिपोर्ट सीधे, डीआईजी विजिलेंस को सौंपी जाएगी। सीआरपीएफ की भर्ती शाखा ने ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ को लेकर स्पेशल डीजी, सेंट्रल जोन, साउथ जोन और जेएंडके जोन को सूचित किया है।
पिछले दिनों भी सीआरपीएफ के दो डॉक्टर, मुख्यालय के रडार पर आ गए थे। वे दोनों डॉक्टर, नई दिल्ली स्थित बल के ग्रुप सेंटर पर विस्तृत चिकित्सा परीक्षा (डीएमई) बोर्ड का हिस्सा थे। कथित भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते दोनों चिकित्सकों को डीएमई ड्यूटी से हटा दिया गया था। चिकित्सकों को लेकर ऐसी शिकायत प्राप्त हुई थी कि उन्होंने दिल्ली पुलिस एवं सीएपीएफ में एसआई के पद पर चयनित उम्मीदवारों की शारीरिक और चिकित्सीय फिटनेस जांच में रिश्वत लेकर तरफदारी की है।
NEWS SOURCE – AMAR UJALA