गुलेरिया 1987 में सहायक कमांडेंट के रूप में बीएसएफ में शामिल हुए थे और अपने करियर में उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों व दुर्गम मोर्चों पर सेवाएं दी। मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा तहसील के खैरिया गांव के रहने वाले गुलेरिया की गिनती बीएसएफ में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में होगी।
अपने 37 वर्षों की सीबीएफ की सेवा में हर क्षण देश को सबसे ऊपर रखा, व्यक्तिगत जीवन और परिवार दूसरे स्थान पर रहे। देश की सेवा करते हुए मैंने हर पल को खुशी से जिया है। जब आप अपने देश की सेवा करते हुए आनंद महसूस करते हैं, तो मान लीजिए भगवान भी आप पर मेहरबान हैं। कभी कोई परेशानी नहीं हुई। मैदान में हमेशा आगे रह कर नेतृत्व दिया।
अमर उजाला से खास बातचीत में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में जन्मे और बीएसएफ के पूर्वी कमान मुख्यालय, कोलकाता में आईजी (आपरेशन) पद से 37 वर्षों बाद सेवा निवृत्त हुए सुरजीत सिंह गुलेरिया ने यह बात कही। उल्लेखनीय है कि गुरेलिया ने अपने लंबे व शानदार करियर में कश्मीर में आतंकियों के दांत खट्टे करने से लेकर बंगाल में भारत- बांग्लादेश सीमा से मवेशियों की तस्करी बंद कराने और 2001-02 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन-कोसोवो तक विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उल्लेखनीय है कि गुलेरिया 1987 में सहायक कमांडेंट के रूप में बीएसएफ में शामिल हुए थे और अपने करियर में उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों व दुर्गम मोर्चों पर सेवाएं दी। मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा तहसील के खैरिया गांव के रहने वाले गुलेरिया बीएसएफ में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में रहेगी।
उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के शुरुआती दौर में ड्यूटी करने से लेकर पंजाब, राजस्थान और बंगाल सीमा पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। बंगाल में उन्होंने लंबे समय तक सेवाएं दी। वीरता व असाधारण कार्यों के लिए गुलेरिया तीन बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी अलंकृत हुए। सेवानिवृत्ति पर उन्हें भव्य विदाई दी गईं। कार्यक्रम में पूर्वी कमान के एडीजी रवि गांधी समेत सभी रैंकों के अधिकारियों व कर्मियों ने उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सराहना की।
2019 में बंगाल में तैनाती के बाद से रूकी मवेशी तस्करी
गुलेरिया की उपलब्धियों में 2019 में बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, कोलकाता में डीआईजी (जी) के रूप में उनकी तैनाती के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी के खिलाफ की जाने वाली सफल कार्रवाई थी। 2019 से जुलाई, 2022 तक यहां डीआईजी (जी) के रूप में अपने कार्यकाल में मवेशी तस्करी सहित सभी प्रकार की अवैध गतिविधियों पर उन्होंने शिकंजा कस दिया। पहले भारत से बांग्लादेश में 70 प्रतिशत तक मवेशी तस्करी इसी सीमा से होती थी।
उत्कृष्ट सेवा के लिए कई बार हुए सम्मानित
उत्कृष्ट सेवा के लिए गुलेरिया को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जिसमें 2008 में सराहनीय सेवा के लिए और 2016 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक शामिल हैं। 2017 में श्रीनगर के हुमामा कैंप में आतंकवादियों के आत्मघाती हमले को विफल करने तथा जैश के दुर्दांत आतंकवादियों को ढेर करने के लिए वर्ष 2021 में उन्हें वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया। कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए उन्हें 20 बार महानिदेशक (डीजी) के प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया। बीएसएफ ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में उनका योगदान और कर्तव्य के प्रति समर्पण बीएसएफ अधिकारियों की भावी पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का काम करेगी।
आपदा राहत कार्यों का भी किया नेतृत्व
गुलेरिया को कोलकाता और बिहार के बिहटा, पटना में एनडीआरएफ की दो बटालियनों को स्थापित कराने का भी श्रेय प्राप्त है। प्रतिनियुक्ति पर एनडीआरएफ में तैनाती के दौरान गुलेरिया ने देश भर में कई मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों का नेतृत्व किया, जैसे चक्रवात-फैलिन, जम्मू और कश्मीर शहरी बाढ़-2014, चक्रवात हुदहुद 2014, और चेन्नई बाढ़-2015, इस दौरान उन्होंने कई कीमती जिंदगियां बचाईं।
बेस्ट एथलीट भी रहे
गुलेरिया ने प्रारंभिक शिक्षा हिमाचल प्रदेश में अपने गांव के स्कूल खैरिया और हरिपुर में ही प्राप्त की। इसके बाद डीएवी कॉलेज कांगड़ा से बीएससी और गवर्नमेंट कालेज धर्मशाला से उन्होंने बीएड की शिक्षा प्राप्त की। गुलेरिया की खेल में भी काफी रूचि रही है। कॉलेज के दिनों में गुलेरिया अपने कॉलेज (डीएवी, कांगड़ा) के बेस्ट एथलीट रहे हैं। इसके अलावा शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में वह हिमाचल यूनिवर्सिटी, शिमला के तीन साल तक चैंपियन रहे हैं
NEWS SOURCE – AMAR UJALA