केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल शौर्य दिवस हर साल बल के उन बहादुर सिपाहियों की वीरता को याद करते हुए मनाया जाता है जिन्होंने 9 अप्रैल 1965 के दिन भारत और पाकिस्तान के युद्ध में गुजरात के कच्छ की खाड़ी में सरदार पोस्ट की लड़ाई में शानदार साहस का परिचय दिया था.
भारत में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल हर साल 9 अप्रैल को अपना शौर्य दिवस मनाती है. यह उन वीर सिपाहियों के लिए मनाया जाता है जिन्होंन से बल के लिए अपने अदम्य साहस का परिचय दिया है. इस साल 59वां शौर्य दिवस मनाया जा रहा है . 9 अप्रैल 1965 के ही दिन भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान गुजरात की कच्छ की खाड़ी में सीआरपीएफ की एक छोटी टुकड़ी ने इतिहास रचते हुए 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और उनके हमले को सफलता पूर्वक नाकाम कर दिया. तभी से हर साल 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसें वीरता पुरस्कार बांटे जाते हैं.
34 और छह का अनुपात
सरदार पोस्ट पर हुए इस अनोखी लड़ाई में सीआरपीएफ के छह जवान शहीद हो गए थे जबकि 34 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के अलावा चार पाकिस्तानी सैनिक भी गिरफ्तार कर लिए गए थे. 1965 तक सीआरपीएफ के जिम्मे ही भारत पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी और उसके बाद जब सीमा सुरक्षा बल का गठन हो गया
क्या हुआ उस रात को
साल 1965 में 8 और 9 अप्रैल की रात को पाकिस्तान की 51 इन्फैन्ट्री ब्रिगेड के 3500 जवानों की टुकड़ी , जिसमें 18 पंजाब बटालियान, 8 फ्रंटियर राइफल और 6 बलूच बटालियन शामिल थे, ने मिलकर डेजर्ट हॉक नाम के ऑपरेशन के तहत कच्छ की खाड़ी की सीमा अचानक हमला किया. उस समय सीआरपीएफ के जवानों को जरा भी खबर नहीं थी कि ऐसा कुछ होने वाला है.
एक हेडकॉन्स्टेबल की वजह से
इस हमले के दौरान भारत के हेड कॉन्स्टेबल भावना राम, सरदार पोस्ट के पूर्वी किनारे पर तैनाती थी, उन्हीं की वजह से घुसपैठियों को हतोत्साहित कर उस पोस्ट से बाहर निकाल पाना संभव हो सका. यह इस तरह का पहला मुकाबला था जिसमें सीआरपीएफ की पाकिस्तानी सैनिकों से सीधी लड़ाई हुई थी और उसमें जीत भी हासिल की गई. इसमें सीआरपीएफ के छह जवान शहीद हो गए थे और उन्हीं की बहादुरी की याद में हर साल 9 अप्रैल को शौर्य दिवस मनाया जाता है.
कोई नहीं थी तुलना
पाकिस्तानी सेना का मकसद उन इलाकों पर कब्जा करना था जिनकी रक्षा की जिम्मेदारी सरदार पोस्ट के जवानों क जिम्मे थी. इस पोस्ट की रक्षा दो सीआरपीएफ की बटालियन कर रही थीं जिसमें 150 सैनिक थे. पाकिस्तान की सेना के सामने सीआरपीएफ के जवानों की संख्या और ताकत कुछ भी नहीं थी, लेकिन फिर पाकिस्तान अपने इरादों मे सफल नहीं हो पाया.
विपरीत हालात में पाक को चटाई धूल
इसके अलावा इलाका ही कुछ ऐसा था कि यहां रक्षा करना बहुत ही मुश्किल था. पकिस्तानी सेना ने पोस्ट के इलाकों पर कब्जा करने के तीन प्रयास किए, लेकिन सीआरपीएफ के जवानों ने शानदार बहादुरी और रणनीतिक इंटेलिजेंस का प्रदर्शन करते हुए हर बार पाकिस्तानी सेना को निराश होने पर मजबूर कर दिया. यह लड़ाई केवल 12 घंटे चली और अंततः पाकिस्तान फौज को वापस लौटना पड़ा
जाते जाते पाकिस्तान की सेना ने अपने सैनिकों को 34 शव छोड़ दिए जिसमें दो अधिकारी थे और चार सैनिकों को जिंदा पकड़ लिया गया. बाद में भारत पाक सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल को सौंप दी गई और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को अंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई. 2001 में भारतीय संसद पर हमला करने वाले सभी आतंकियों को सीआरपीएफ ने ही मारा, देश में आतंकवाद के खिलाफ सभी अभियान सीआरपीएफ ही चलाई, उसकी शाखा नक्सलवाद के खिलाफ भी लड़ती रही है. बल की कई टुकड़ियों संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के तहत मालदीव, सोमालिया, हैती, नामीबिया आदि भी जा चुकी है.