लोकसभा चुनाव में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की भारी डिमांड है। खासतौर पर सीआरपीएफ में तो ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां से जवानों को चुनावी ड्यूटी पर न भेजा जा रहा हो। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ मुख्यालय से कहा है कि चुनावी ड्यूटी के लिए पर्याप्त संख्या में जवानों की मौजूदगी सुनिश्चित की जाए। इस आदेश ने बल में खलबली सी मचा दी है। तीन अप्रैल से पहले जवानों को ड्यूटी पर भेजना है। इसके लिए बल के सेक्टर हेडक्वार्टर और ग्रुप सेंटरों पर तेजी से काम शुरू हो गया है। खासतौर पर कमांडेंट का कामकाज बढ़ गया है। उन्होंने अपने जूनियर अधिकारियों से कह दिया है कि चाहे जैसे भी हो, चुनावी ड्यूटी के लिए जवानों को फ्री करना पड़ेगा। यहां तक कि ऐसे रंगरूट, जिनकी ट्रेनिंग अभी खत्म नहीं हुई है, उन्हें भी ग्रुप सेंटरों और सेक्टर हेडक्वार्टर पर भेजा रहा है। वजह, उन जगहों से स्थायी कर्मियों को चुनावी ड्यूटी पर भेजेंगे। उनके वापस आने तक रंगरूट, ग्रुप सेंटर और सेक्टर हेडक्वार्टर पर ड्यूटी करेंगे।
जीडी बटालियनों से भी मांगे जा रहे 40 जवान
बल में 52 सप्ताह की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ही रंगरूटों को पहली पोस्टिंग मिलती है। सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के चलते कहा गया है कि जिन रंगरूटों की ट्रेनिंग 22 सप्ताह की हो गई है, उन्हें कैंपस की सुरक्षा में लगा दिया जाए। वहां पर तैनात जवानों को चुनावी ड्यूटी पर भेज दिया जाए। कुछ ग्रुप सेंटर ऐसे हैं, जहां से एडहॉक कंपनी के लिए जवान मुहैया कराए गए हैं। सभी जगह से आने वाले जवानों को मिलाकर ही एडहॉक कंपनी तैयार की जाती है। बल में जितनी भी जीडी बटालियन हैं, वहां से भी 40-40 जवान एडहॉक कंपनी के लिए मांगे गए हैं। यहां तक कि सिग्नल यूनिट से भी जवान मांगे गए हैं। कंपनी की कमांड एसी/इंस्पेक्टर को सौंपी जाएगी। चुनावी ड्यूटी पर जाने वाले सभी जवान दंगा रोधी एवं दूसरे सुरक्षा उपकरणों से लैस रहेंगे।
सभी ट्रेनिंग सेंटरों से बाहर जाएंगे रंगरूट
मध्यप्रदेश में स्थित रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर ‘आरटीसी’ नीमच, आरटीसी अवाडी, आरटीसी पेरिंगोम, आरटीसी श्रीनगर, आरटीसी राजगीर, आरटीसी लातूर, आरटीसी अमेठी और आरटीसी जोधपुर, यहां से रंगरूटों को विभिन्न ग्रुप सेंटरों और सेक्टर हेडक्वार्टर पर भेजा जाएगा। वजह, यहां का स्थायी स्टाफ विभिन्न राज्यों में चुनावी ड्यूटी पर तैनात होगा। उक्त ट्रेनिंग सेंटरों से निकटवर्ती ग्रुप सेंटर और सेक्टर हेडक्वार्टर पर जो रंगरूट भेजे जाएंगे, उनकी संख्या तय की गई है। जैसे आरटीसी नीमच से मध्यप्रदेश सेक्टर हेडक्वार्टर पर 30, ग्रुप सेंटर भोपाल के लिए 50, ग्रुप सेंटर नीमच पर 50, ग्रुप सेंटर ग्वालियर पर 50, हेडक्वार्टर वेस्टर्न सेक्टर पर 30 और ग्रुप सेंटर गांधीनगर पर 50 रंगरूट तैनात किए जाएंगे। इसी तरह ग्रुप सेंटर बिलासपुर पर 50, ग्रुप सेंटर रायपुर पर 50, ग्रुप सेंटर अवाडी पर 50, हेडक्वार्टर श्रीनगर सेक्टर पर 30, जम्मू सेक्टर पर 30, बिहार सेक्टर 30, ग्रुप सेंटर गुवाहाटी 60 और ग्रुप सेंटर सिलचर पर भी निकटवर्ती ट्रेनिंग सेंटर से 60 रंगरूट जाएंगे।
ग्रुप सेंटरों ने मुहैया कराई एडहॉक कंपनी
सूत्रों के मुताबिक, बल मुख्यालय की तरफ से रंगरूटों को 3 अप्रैल तक संबंधित तैनाती वाले स्थान पर भेजने का आदेश जारी किया गया है। अगर वाहन आदि की कोई समस्या हो, तो उसके लिए निकटवर्ती ग्रुप सेंटर से संपर्क किया जाए। चूंकि लोकसभा चुनाव में सीआरपीएफ सहित केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की भारी मांग है, इसलिए ग्रुप सेंटरों से एक-एक एडहॉक कंपनी भेजने के लिए कहा गया है। अधिकांश ग्रुप सेंटरों ने उक्त कंपनी भेज दी हैं। एक कंपनी में लगभग 80-100 जवान रहते हैं। इसके बाद भी चुनावी ड्यूटी पर जवान कम पड़ रहे हैं।
सेक्टर हेडक्वार्टरों से भी मांगी गई कंपनियां
ग्रुप सेंटरों से एडहॉक कंपनी लेने के बाद भी इलेक्शन में जवानों की संख्या कम पड़ रही है। इसके मद्देनजर, सीआरपीएफ के सभी सेक्टरों से भी 40-40 जवान फ्री करने के लिए कहा गया है। हालांकि इन सेक्टरों के तहत आने वाले ग्रुप सेंटरों से पहले भी एडहॉक कंपनी के लिए स्टाफ मांगा जा चुका है। अब कहा गया है कि सभी सेक्टर हेडक्वार्टर अपने ‘स्थापना संसाधनों’ से स्टाफ भेजेंगे। सेक्टर एडहॉक और यूनिट एडहॉक से एक कंपनी तैयार होगी। इन दोनों को मिलाकर श्रीनगर सेक्टर से 12 एडहॉक कंपनी, केओएस से 13, जम्मू सेक्टर से 8, नॉर्दन सेक्टर से 7, छत्तीसगढ़ सेक्टर से 17 और दूसरे सेक्टरों से भी इसी तरह एडहॉक कंपनी तैयार की जाएगी।