लंबे समय से कुत्तों और इंसानों का लगाव बहुत गहरा रहा है क्योंकि कुत्ते हमेशा वफादार होते हैं। जहां सीमा सुरक्षा बल बटालियन 121 के जवान दिन-रात हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं, वहीं ये दो डोग (जिनका नाम लिसा और बिंदू है) भी 121 बटालियन की टीम का हिस्सा हैं और बी.एस.एफ. जवानों के साथ सीमा पर बहुत कुशलता से काम करते हैं।
दरअसल, डॉग लिसा और डॉग बिंदू समेत लैब्रा नस्ल के कुल तीन कुत्ते हैं। जिनकी उम्र करीब 4 साल है और ये फिलहाल सीमा सुरक्षा बल बटालियन 121 में तैनात हैं। मिली जानकारी के मुताबिक इन कुत्तों को 6 महीने की खास ट्रेनिंग देने के बाद बी.एस.एफ. में शामिल किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक ये दोनों कुत्ते हैं स्क्वायड का हिस्सा हैं और हर दिन सीमा पर अलग-अलग गेटों पर तैनात होते हैं और दिन में लगभग 4 घंटे ड्यूटी करते हैं।
अगर इनके हुनर की बात करें तो ये कुत्ते हथियार सामग्री, ए.आई.डी. मटीरियल, अनजान व्यक्ति की पहचान जैसे हुनर के मालिक होते हैं। सीमा सुरक्षा बल के 2 जवानों द्वारा दी जानकारी अनुसार एक कुत्ते की रोजाना खुराक का खर्च करीब 200 रुपये है. जिससे उन्हें मांस सहित अधिक पौष्टिक आहार दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि इन दोनों कुत्तों को बॉर्डर पर छानबीन संबंधी विशेष ट्रेनिंग दी गई है। मिली जानकारी के मुताबिक ये अपनी ट्रेनिंग की हर भाषा को समझते हैं। उन्होंने बताया कि सरहद पर कुछ गेट हैं जिनके जरिए रोजाना किसान खेती करने के लिए कंडियाली तार से पार जाते हैं जिसके चलते उनकी तलाशी लेने के लिए ये दोनों कुत्ते अलग-अलग गेटों पर रोजाना 4 घंटे की ड्यूटी देते हैं।
उन्होंने बताया कि ये अपने काम में इतने कुशल हैं कि हर नशीले पदार्थ, ड्रग और हथियार को सूंघकर पहचान लेते हैं। इसके अलावा इंसानों के पदचिह्नों का भी पीछा करने में सक्षम हैं। ये दोनों कुत्ते सरहद पर गुप्ता सूचना मिलने पर छानबीन करने में अहम भूमिका निभाते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, इनका सीमा सुरक्षा बल में तैनाती केवल 10 वर्ष की आयु तक ही होती है। उसके बाद उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। इससे साबित होता है कि कुत्ता हमेशा एक वफादार जानवर होता है।