केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन की मांग कर रहे कर्मचारी संगठनों को अंतरिम बजट पेश होने से पहले ही जवाब दे दिया है। पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच (जेएफआरओपीएस)/नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए 11 जनवरी को वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा था। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की ई-वी ब्रांच ने गत सप्ताह, उक्त पत्र का जवाब दिया है। इसमें कहा गया है कि एनपीएस के मामले पर वित्त मंत्रालय के सचिव/एसई की अध्यक्षता में गठित कमेटी, इस बाबत स्टाफ साइड ऑफ नेशनल काउंसिल (जेसीएम) के साथ दो राउंड की विस्तृत चर्चा कर चुकी है। कमेटी ने साइड ऑफ नेशनल काउंसिल के मूल्यवान सुझावों को नोट किया है। एनजेसीए द्वारा 11 जनवरी को भेजे गए पत्र में जिन बातों का जिक्र किया गया है, उन्हें पहले ही कमेटी के समक्ष रख दिया गया है।
बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ मंजूर नहीं
पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच/नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा ने वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र में पुरानी पेंशन बहाली की मांग की थी। मिश्रा का कहना था, हमने सरकार के समक्ष कई बार आग्रह किया है कि पुरानी पेंशन लागू की जाए। सरकारी कर्मियों को बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना मंजूर नहीं है। केंद्र सरकार को इसे खत्म करना पड़ेगा। सरकारी कर्मियों को परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। शिव गोपाल मिश्रा ने अपने पत्र में केंद्र सरकार के कर्मचारी, जिनमें रेलवे, रक्षा, डाक, आयकर, अकाउंट एंड ऑडिट, केंद्रीय सचिवालय, इसरो व डीएई आदि का जिक्र किया था। इनके अलावा पत्र में स्वायत्तता प्राप्त संगठन, केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सभी राज्यों के सरकारी कर्मचारी, यूटी क्षेत्रों के कर्मी, प्राथमिक टीचर, हाई स्कूल टीचर, उच्च शिक्षा विभाग, कालेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर को भी पुरानी पेंशन के दायरे में लाने की मांग की गई थी।
अंतरिम बजट में ओपीएस पर साफ होगी स्थिति
सूत्रों का कहना है कि एक फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में यह स्थिति साफ हो जाएगी कि सरकारी कर्मी, पुरानी पेंशन के दायरे में आएंगे या एनपीएस ही जारी रहेगा। केंद्र सरकार, ओपीएस बहाली नहीं करेगी, लेकिन एनपीएस को ज्यादा से ज्यादा आकर्षक बनाने का मसौदा, अंतरिम बजट में देखने को मिल सकता है। एनपीएस में जमा हो रहा कर्मियों का दस फीसदी पैसा और सरकार का 14 फीसदी पैसा, इसमें सरकार बड़ा बदलाव कर सकती है। सरकार ऐसे प्रयास में है कि पुरानी पेंशन में जिस तरह से ‘गारंटीकृत’ शब्द, कर्मियों को एक भरोसा देता है, कुछ वैसा ही एनपीएस में भी जोड़ दिया जाए। डीए/डीआर की दरों में बढ़ोतरी होने पर एनपीएस में उसका आंशिक फायदा, कर्मियों को कैसे मिले, इस पर कुछ नया देखने को मिल सकता है।
अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए सहमति
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, लोकसभा चुनाव से पहले ‘पुरानी पेंशन’ लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है। यही वजह है कि कर्मचारी संगठन, अब विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क कर रहे हैं। अगर वे कर्मचारियों की मांग मान लेते हैं, तो दस करोड़ वोटों का समर्थन संबंधित राजनीतिक दल के पक्ष में जा सकता है। देश के दो बड़े कर्मचारी संगठन, रेलवे और रक्षा (सिविल) ने अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए अपनी सहमति दे दी है। स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 फीसदी कर्मी, हड़ताल के पक्ष में हैं।
‘रिले हंगर स्ट्राइक’ के बाद भी सरकार मौन
देश में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मियों ने पिछले दिनों राष्ट्रव्यापी अनिश्चिकालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी थी। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने पूरे देश में आठ जनवरी से 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ की थी। इसका मकसद, सरकार को चेताना था। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ के अंतिम दिन सरकार को चेतावनी दे दी थी कि ओपीएस बहाली के लिए अब कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा। सरकार हमें, अनिश्चिकालीन हड़ताल करने के लिए मजबूर कर रही है। देश में अगर 1974 की रेल हड़ताल जैसा माहौल बना, तो उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। जल्द ही सभी कर्मचारी संगठनों की बैठक बुलाई जाएगी। उस बैठक में देश भर में होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि तय होगी। हड़ताल की स्थिति में ट्रेनों व बसों का संचालन बंद हो जाएगा। केंद्र एवं राज्य सरकारों के दफ्तरों में कामकाज नहीं होगा।
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